पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अमृतसर से नूंह शिविर में शरणार्थी लड़के के स्थानांतरण की अनुमति दी ताकि वह अपनी मां के साथ रह सके

LiveLaw News Network

19 Jan 2021 9:05 AM GMT

  • P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले सप्ताह निर्देश देते हुए कहा कि जुलाह (मां) यानी उसके बेटे को अमृतसर से मेवात जिले के नूंह तहसील में रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में स्थानांतरित किया जाए, ताकि मां और बेटा तब तक एक साथ, एक स्थान पर रह सकें, जब तक कि उन्हें वापस उनके देश भेज नहीं दिया जाता है।

    दअसल, जुलाह (जुलाह युसुफ) की तरफ से हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका की अर्जी डाली गई थी। इस याचिका में मां और बेटे को एक साथ रहने देने की मांग की गई थी।

    मां की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति गुरविंदर सिंह गिल की खंडपीठ ने पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) को निर्देश दिया कि,

    "वे यह सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता के बेटे को अमृतसर (जहां वह वर्तमान में हिरासत में लिया गया है) यानी अमृतसर के डिटेंशन सेंटर से हरियाणा के मेवात जिला के नूंह तहसील के चन्देनी रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में ले जाया जाए।"

    कोर्ट के समक्ष मामला

    याचिकाकर्ता के बेटे को अमृतसर में हिरासत में लिया गया क्योंकि उस पर आरोप है कि उसने बिना किसी उचित दस्तावेज के और बिना किसी पासपोर्ट के भारत में प्रवेश किया था और कहा जाता है कि उसे बाद में एक शरणार्थी के रूप में पंजीकृत किया गया था।

    याचिकाकर्ता की ओर से मुख्य रूप से यह कहा गया कि,

    "यदि याचिकाकर्ता और याचिकाकर्ता के बेटे दोनों को हिरासत में लिया जाए, तो उन्हें वापस भेजे जाने तक मां और बेटे को एक स्थान पर रखा जाए।"

    भारत के संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को सूचित किया कि,

    "याचिकाकर्ता को हस्तांतरित किए जाने के मामले में गृह मंत्रालय या भारत संघ को कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते पंजाब राज्य के साथ-साथ हरियाणा राज्य को भी कोई आपत्ति न हो।"

    कोर्ट के पूछने पर पंजाब राज्य के साथ-साथ हरियाणा राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले काउंसल ने कहा कि,

    "दोनों राज्यों को याचिकाकर्ता के बेटे के स्थानांतरण पर कोई आपत्ति नहीं है, ताकि वह अपनी मां के साथ रहने में सक्षम हो। दोनों को एक शरणार्थी शिविर में रखा जा सकता है।"

    इस तरह कोर्ट द्वारा पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करते हुए मामले का निबटारा किया गया।

    इसी तरह के एक मामले में हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार और भारत संघ को शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (UNHCR) को स्थानांतरित करने के लिए अपेक्षित कदम उठाने के लिए कहा था। यह मामला 4 रोहिंग्याओं का मामला था। वे चारों रोहिंग्या अपनी जेल की सजा काट चुके थे, फिर भी उन्हें जेल में रखा गया था।

    मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने 4 रोहिंग्याओं द्वारा दायर की गई हैबियस कॉर्पस रिट (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) पर सुनवाई की थी।

    केस – जुलाहा ( जुलाहा यूसुफ) बनाम भारत संघ और अन्य [CRWP-7515-2020 (O & M)]

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