ईद की नमाज अदा करने के लिए मस्जिद/ईदगाह खोलने की मांग वाली याचिका का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया निपटारा कहा, राज्य सरकार से संपर्क करें
LiveLaw News Network
21 May 2020 9:17 AM IST
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ईद की नमाज अदा करने हेतु मस्जिद/ईदगाह खोलने की मांग को लेकर दायर याचिका को यह कहते हुए निपटा दिया कि इस मांग के लिए याचिकाकर्ता को पहले सरकार से संपर्क करना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर एवं न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने यह आदेश, उस जनहित याचिका पर दिया, जिसमे अदालत से यह अनुरोध किया गया था कि ईद की नमाज अदा करने के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश में मस्जिदों व ईदगाहों को एक घंटे के लिए खोलने के निर्देश राज्य सरकार को दिए जाएँ।
दरअसल, मामले में याचिकाकर्ता शाहिद अली सिद्दीकी ने अदालत से इस जनहित याचिका के माध्यम से यह अनुरोध किया था कि अदालत द्वारा, राज्य सरकार को यह निर्देश दिए जाएँ कि उत्तर प्रदेश में ईद की नमाज हेतु, एक घंटे के लिए (सुबह 9 बजे से 10 बजे तक) तथा 30 जून, 2020 तक जुमे की नमाज के लिए मस्जिद/ईदगाह को खोला जाए।
अदालत ने राज्य सरकार को ऐसा कोई भी निर्देश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि,
"याचिका को देखने से ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता द्वारा इस अदालत के पास आने से पहले, अपनी शिकायत के निवारण के लिए राज्य से कोई मांग की गयी थी।"
अदालत ने इस बात को भी रेखांकित किया कि जो याचिकाकर्ता, किसी अदालत से परमादेश (mandamus) के स्वभाव की रिट को जारी करने के आदेश/निर्देश की मांग करते हैं, तो उन्हें सर्वप्रथम अपनी शिकायत/मांग को लेकर सक्षम प्राधिकारी के पास जाना चाहिए।
सर्वप्रथम राज्य सरकार के पास अपनी शिकायत/मांग को ले जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए एवं इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए अदालत ने आगे यह कहा कि,
"हम इस मामले में इस स्तर पर हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। याचिकाकर्ता को पहले राज्य के पास जाना चाहिए और यदि दावा की गयी राहत देने से इंकार किया जाता है या उस पर विचार करने में कोई असामान्य देरी होती है, तो याचिकाकर्ता न्यायालय के इस अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए संपर्क करने के लिए स्वतंत्रता है।"
इसी के साथ अदालत ने इस याचिका का निपटारा कर दिया।
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार (15-मई-2020) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए कि अजान इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग है, राज्य की विभिन्न मस्जिदों के मुअज़्ज़िनों को लॉकडाउन में भी अज़ान की इजाज़त दे दी थी। हालांकि, अदालत ने माइक्रोफोन के इस्तेमाल पर सख्त आपत्ति की थी।
जस्टिस शशि कांत गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने यह कहा था कि,
"अज़ान निश्चित रूप से इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है, लेकिन अज़ान के लिए माइक्रोफोन और लाउड-स्पीकर का इस्तेमाल आवश्यक और अभिन्न अंग नहीं है। मुअज्ज़िन किसी भी प्रवर्धक उपकरण का इस्तेमाल किए बिना अपनी आवाज़ में मस्जिदों की मीनारों से अज़ान दे सकता है और ऐसे पाठ को राज्य द्वारा COVID 19 की रोकथाम के लिए जारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन का बहाना बनाकर रोका नहीं जा सकता है।"
मामले का विवरण:
केस टाइटल: शाहिद अली सिद्दीकी बनाम उत्तर-प्रदेश राज्य अन्य
केस नं : PIL No. 580/2020
कोरम : मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर एवं सिद्धार्थ वर्मा
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