'जो लोग जानवरों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, उनसे निर्दयता से निपटा जाना चाहिए': मद्रास उच्च न्यायालय ने सरकार को हाथियों के स्वामित्व पर रोक लगाने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
24 Feb 2021 1:35 PM IST
मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से कहा है कि एक नीति बनाए, जिसके तहत व्यक्ति या मंदिरों को हाथियों का मालिकाना ना दिया जाए। हथियों का स्वामित्व प्रतिबंधित हो।
जानवरों (इस मामले में हाथी) के साथ निजी स्वामित्व में हो रहे 'दुर्व्यवहार' पर चिंता व्यक्त करते हुए, चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ ने कहा कि एक समान नीति होनी चाहिए, जिसके तहत "व्यक्तियों और मंदिरों के लिए भविष्य में हाथियों का स्वामित्व पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।"
पीठ ने कहा, "हाथियों और अन्य जानवरों के साथ किसी प्रकार के दुव्यवहार से तेजी से और निर्दयता से निपटा जाना चाहिए..एक समान नीति होनी चाहिए कि सभी हाथी, निजी स्वामित्व में हो या मंदिर के स्वामित्व में, वन विभाग की देखरेख में हों।"
उन्होंने आगे कहा, "वन विभाग को निजी और मंदिरों के स्वामित्व में पल रहे हाथियों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए एक उचित योजना बनानी चाहिए, जिनके साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता है जैसा कि एक वीडियो से स्पष्ट था, जो कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।"
बेंच रंगराजन नरसिम्हन की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिका में अनुरोध किया गया था कि यह जांच कि जाए कि मंदिरों और निजी स्वामित्व के हाथियों का उपयोग मालिकों आनंद के लिए करते हैं या उनका भारी सामग्री के परिवहन के लिए उपयोग किया जाता है।
हालांकि बेंच ने कहा कि सभी उद्देश्यों के लिए जानवरों के शोषण को रोका जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि जानवरों को केवल "सीमित सरकार-नियंत्रित उपयोग" जैसे कि घुड़सवारी या समुद्र तट पर ऊंट-सवारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
हालांकि, यह चेतावनी दी गई कि इन जानवरों को भी निजी तौर पर उपयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ऐसे उपयोग की निगरानी करना संभव नहीं है। पीठ ने राज्य सरकार को उक्त मामले पर एक व्यापक नीति और दिशानिर्देशों के साथ आठ सप्ताह की अवधि के भीतर आने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, "मामले में विशेषज्ञों की सलाह ली जा सकती है, हाथियों के पुनर्वास के उपाय किए जा सकते हैं, और भविष्य के लिए उपाय किए जा सकत है ताकि राज्य में जानवरों का किसी भी तरह से शोषण न हो।"
मामले पर 27 अप्रैल, 2021 को अगली सुनवाई की जा सकती है।
केस टाइटिल: रंगराजन नरसिम्हन बनाम मुख्य सचिव और अन्य।