बंदूक चलाने के लिए प्रशिक्षित जवान अधिकारियों के लिए डोसा बना रहे हैं, शर्मनाक औपनिवेशिक प्रथा है यहः मद्रास हाईकोर्ट अर्दली सिस्टम पर कहा

Avanish Pathak

12 Aug 2022 3:08 PM GMT

  • मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस बार पर गहरा असंतोष प्रकट किया कि आजादी के 75 सालों बाद भी राज्य आला अधिकारियों के घरों पर अर्दली के रूप में वर्दीधारी अधिकारियों को नियुक्त करने की औपनिवेशिक प्रथा को प्रभावी ढंग से समाप्त नहीं कर सका।

    कोर्ट ने कहा,

    "हम आजादी के 75 साल के करीब आ रहे हैं और फिर भी आप इस औपनिवेशिक व्यवस्था को खत्म नहीं कर सकते हैं। जिन कर्मियों को बंदूकें चलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, उन्हें उच्च अधिकारियों के लिए रोटी और डोसा बनाने के लिए नियुक्त किया जाता है। यह वास्तव में शर्मनाक है।'

    जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने सरकारी क्वार्टरों में नियमों का उल्‍लंघन कर अधिकारियों के अधिक समय तक रहने से संबंधित मामले में टिप्पणी की।

    अदालत ने पहले सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को उच्च अधिकारियों के आवास पर वर्दीधारी अधिकारियों को हटाने और इन बलों का व्यापक रूप से जनता के लाभ के लिए उपयोग करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया था।

    आज जब इस मामले की सुनवाई की गई तो अतिरिक्त महाधिवक्ता कुमारसन ने अदालत को बताया कि करीब 19 पुलिस कर्मियों को वापस बुलाकर नियमित विभागीय पोस्ट पर लगाया गया है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि छह सप्ताह का समय देने के बाद भी सिर्फ 19 आदेश वापस लिए गए।

    अदालत ने कहा कि प्रमुख सचिव को व्यवस्था पर बेहतर नियंत्रण रखना चाहिए और आदेश का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए अन्यथा, सार्वजनिक सेवाएं खुद प्रभावित होंगी। अदालत ने कहा कि ऐसे बहुत से पुलिस थाने और सरकारी कार्यालय हैं, जिनमें स्टाफ की कमी है। इन कार्यालयों के बेहतर कामकाज के लिए इन कर्मियों की नियुक्ति करना आवश्यक है।

    अदालत ने कहा कि इस देश में प्रत्येक लोक सेवक संविधान और कानून के अनुसार जनता की सेवा करने के लिए बाध्य है।

    अदालत ने यह भी कहा कि यदि आदेशों को ठीक से लागू नहीं किया जाता है तो उसे भारत सरकार और गृह मंत्रालय के खिलाफ आदेश पारित करने होंगे और उन्हें केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए कहना होगा।

    अदालत ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक को पक्षकार बनाया और उन्हें इस महीने की 18 तारीख तक स्थिति रिपोर्ट/हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    अदालत ने कहा कि डीजीपी को स्वतंत्रता दिवस से पहले व्यवस्था को खत्म करने का लक्ष्य रखना चाहिए।

    केस टाइटल: यू. मानिकवेल बनाम सचिव के माध्यम से राज्य और अन्य

    केस नंबर: WP No 2627 of 2014

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