बलात्कार और हत्या का दोषी किशोर पाया गया; सुप्रीम कोर्ट ने दोष को बरकरार रखा, मृत्युदंड को रद्द किया

Avanish Pathak

4 March 2023 3:06 PM GMT

  • बलात्कार और हत्या का दोषी किशोर पाया गया; सुप्रीम कोर्ट ने दोष को बरकरार रखा, मृत्युदंड को रद्द किया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नाबालिग के बलात्कार और हत्या के दोषी एक व्यक्ति की मौत की सजा को रद्द कर दिया। कोर्ट ने पाया कि अपराध के समय दोषी किशोर था। ट्रायल कोर्ट ने उसे मृत्युदंड दिया था, जिसकी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुष्टि की थी। जिसके बाद उसने शीर्ष अदालत में संपर्क किया था।

    उसकी अपील जब सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी, उसी समय उसने अपनी एक आवेदन के जर‌िए अपनी किशोर उम्र का दावा किया। सुप्रीम कोर्ट ने तब ट्रायल कोर्ट से दोषी व्यक्ति की ओर से किए गए दावे के बारे में पूछताछ करने के लिए कहा।

    ट्रायल कोर्ट ने बताया कि दोषी की जन्म तिथि निर्णायक रूप से 25.07.2002 साबित हुई। इसका मतलब यह था कि अपराध की तारीख यानि 15.12.2017 को वह 15 साल का था।

    चूंकि अधिकतम सजा जो किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार एक किशोर को दी जा सकती है, वह तीन साल की कैद है। सुप्रीम कोर्ट ने उसको दी गई मृत्युदंड की सजा को रद्द कर दिया और उसे रिहा करने का आदेश दिया, क्योंकि वह पहले ही 5 साल कारावास में रह चुका था।

    अदालत ने हालांकि कहा कि सत्र न्यायालय में किया गया ट्रायल और सजा को कानून में खराब नहीं माना जाएगा, भले ही बाद में उस व्यक्ति को किशोर मान लिया गया हो।

    जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और ज‌स्टिस संजय करोल की बेंच ने यह केवल सजा का प्रश्न है, जिसके लिए किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों को आकर्षित किया जाएगा।

    ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी की किशोरता के बारे में रिपोर्ट किए जाने के बाद, बेंच ने निम्न मुद्दों पर विचार किया-

    -सेशन कोर्ट के पास अधिकार क्षेत्र के अभाव के कारण क्या ट्रायल खराब माना जाएगा, और क्या केवल जेजेबी ही मौजूदा मामले में अपराध की जांच कर सकता था। यदि जेजेबी ने जांच नहीं की है तो क्या पूरी कार्यवाही को रद्द करने की आवश्यकता है या 2015 अधिनियम के अनुसार केवल सजा पर विचार की आवश्यकता होगी?

    अदालत ने उल्लेख किया कि 2015 अधिनियम की धारा 9 की उपधारा (3) के अनुसार अदालत ने पाया कि जिस व्यक्ति ने अपराध किया था, यदि उसे अपराध की तारीख पर किशोर पाया जाता है तो उचित आदेश और सजा के लिए मामले को जेजेबी को भेज दिया जाएगा, और कोर्ट की ओर से कोई आदेश और सजा दी गई हो तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा।

    इस प्रकार अदालत ने सजा को बरकरार रखा और मौत की सजा को रद्द कर दिया।

    केस डिटेलः करण @ फतिया बनाम मध्य प्रदेश राज्य | 2023 Livelaw (SC) 159 | CRA 572-573 ‌Of 2019| 3 मार्च 2023 | जस्टिस बीआर गवई, ज‌स्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल

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