"उसे अपनी ज़िंदगी जीने दीजिए": गुजरात हाईकोर्ट ने 19 साल की उम्र के लड़के से शादी करने की इच्छा रखने वाली 18 साल की लड़की के माता-पिता को उसे परेशान न करने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
13 July 2021 11:45 AM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने एक 18 साल की लड़की के माता-पिता को निर्देश दिया है कि वह शादी की उम्र प्राप्त करने के बाद एक लड़के से शादी करने की इच्छा रखने वाली अपनी बेटी को परेशान न करे।
न्यायमूर्ति आरएम छाया और न्यायमूर्ति निरजार एस देसाई की खंडपीठ ने यह उम्मीद जताई है कि माता-पिता लड़की को उसकी पसंद के अनुसार अपना जीवन जीने की अनुमति देंगे और आदेश दिया है किः
''हम कार्पस- दिव्याबेन द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना करते हैं, हालांकि वह मुश्किल से 18 साल और 3 महीने की है, जो इस न्यायालय की राय में एक परिपक्व निर्णय है। हमें उम्मीद और विश्वास है कि याचिकाकर्ता और निशाबेन, माता-पिता के रूप में, कार्पस-दिव्याबेन की भावनाओं का सम्मान करेंगे और उसे अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन जीने की अनुमति देंगे।''
लड़की के पिता द्वारा एक हैबियस कार्पस याचिका दायर की गई थी जिसमें उसे अदालत के समक्ष पेश करने और उसकी हिरासत उनको सौंपने का निर्देश देने की मांग की गई थी। लड़की अपने पैतृक घर को छोड़कर उस लड़के के दादा के साथ रहने चली गई थी जिसे वह पसंद करती है।
अपने जीवन के बारे में आशंका व्यक्त करते हुए, लड़की द्वारा यह प्रस्तुत किया गया था कि वह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वयस्क होने के बाद उस लड़के से शादी करना चाहती है,जिसकी आयु इस समय 19 वर्ष है।
कोर्ट से बातचीत के दौरान लड़की ने बताया कि वह लड़के से अपने संबंध जारी रखते हुए अपने माता-पिता के घर जाने के लिए तैयार है। ऐसा कहते हुए, लड़की ने यह भी इच्छा व्यक्त की थी कि उसके माता-पिता उसे लड़के से फोन पर बात करने दें और वह उसे इस लड़के से शादी करने और उसके साथ अपना सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने की अनुमति भी प्रदान करें।
जिसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि माता-पिता उसे लड़के से फोन पर बात करने देंगे और उसे उसके साथ व्यक्तिगत संबंध बनाए रखने की अनुमति भी दी जाएगी।
उक्त मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा किः
''याचिकाकर्ता एक पिता के रूप में और साथ ही निशाबेन कार्पस की मां के रूप में, किसी भी तरह से कार्पस-दिव्याबेन को परेशान न करें। याचिकाकर्ता और कापर्स की मां, उक्त प्रभाव के लिए शपथ पर व्यक्तिगत अंडरटेकिंग 12.07.2021 तक दायर करें।''
अदालत ने तदनुसार पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह लड़की को उसके माता-पिता के घर छोड़ दें और इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए कि लड़की सुरक्षित घर पहुंच गई है।
कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि, ''हम याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित अधिवक्ता श्री अंसारी और प्रतिवादी नंबर 3 की ओर से उपस्थित अधिवक्ता श्री कादरी द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हैं, जिन्होंने न्यायालय को इस मुद्दे को हल करने और दो मासूम बच्चों की जान की एक तरह से रक्षा करने और उनको सुरक्षित करने में सक्षम बनाया।''
कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के कार्यालय की महिला अधिकारी को भी निर्देश दिया है कि वह घर जाकर लड़की से मिले और कम से कम एक साल तक इस संबंध में कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट दायर की जाए।
केस का शीर्षकः पांचाल विजयकुमार रमेशकुमार बनाम गुजरात राज्य
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