केंद्र की फैक्ट चेकिंग यूनिट केवल सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों संबंधित झूठी या भ्रामक जानकारी को हटाने का निर्देश दे सकती है, न कि व्यंग्य या विचारों कोः केंद्र का हलफनामा

Avanish Pathak

21 April 2023 12:19 PM GMT

  • केंद्र की फैक्ट चेकिंग यूनिट केवल सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों संबंधित झूठी या भ्रामक जानकारी को हटाने का निर्देश दे सकती है, न कि व्यंग्य या विचारों कोः केंद्र का हलफनामा

    इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया है कि केंद्र सरकार की आगामी फैक्ट चेकिंग यूनिट केवल सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से संबंधित झूठी या भ्रामक जानकारी को हटाने का निर्देश दे सकती है, न कि व्यंग्य या कलाकारों के विचारों को।

    मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामें कहा गया है,

    “यह दोहराया जाता है कि फैक्ट फाइंडिंग बॉडी की भूमिका केंद्र सरकार के किसी भी क्रियाकलाप तक सीमित है, जिसमें नीतियों, कार्यक्रमों, अधिसूचनाओं, नियमों, विनियमों, उसके कार्यान्वयन आदि के बारे में जानकारी शामिल हो सकती है। फैक्ट फाइंडिंग बॉडी केवल नकली या गलत या भ्रामक जानकारी की पहचान कर सकती है, न कि किसी राय, व्यंग्य या कलाकार के विचार की।”

    मंत्रालय ने हलफनामें में स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की याचिका को खारिज करने की मांग की है, साथ ही एमआईटी के एक शोध पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि झूठी खबरें सच्चाई से छह गुना तेजी से फैलती हैं, जिसके लिए आईटी नियमों में संशोधन की आवश्यकता है।

    हलफनामे में आशंका व्यक्त की गई है कि लोग आधिकारिक सरकारी घोषणाओं के बिना अटकलबाज‌ियों पर काम कर रहे हैं और इसलिए "प्रामाणिक जानकारी" सुनिश्चितत करना और सरकारी एजेंसी द्वारा तथ्य-जांच के बाद इसका प्रसार करना जनहित में होगा ताकि जनता को होने वाले "संभावित नुकसान" को कम किया जा सके।

    इसमें कहा गया है कि संशोधन संविधान के अनुच्छेद 19(2) और 19(6) के अनुरूप है।

    हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, कामरा ने आईटी नियमों के संशोधित नियम 3(1)(बी)(v) को चुनौती दी है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए यह बाध्यकारी बनाता है कि (इंटरमीडियरीज़) को उपयोगकर्ता "गलत सूचना" या "भ्रामक जानकारी" अपलोड या साझा न करें, इसके लिए वह उचित प्रयास करे।

    जबकि 2021 आईटी नियमों में ऐसा नहीं था। उसमें केवल इंटरमीडियरीज़ को उपयोगकर्ताओं को उनके दायित्व के बारे में "सूचित" करना था कि वे "स्पष्ट रूप से गलत या भ्रामक जानकारी" अपलोड या साझा ना करें।

    सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023, नियम 3(1)(बी)(v) में मौलिक रूप से संशोधन करता है, जिसमें उपयोगकर्ताओं को केंद्र सरकार के किसी भी क्रियाकलाप के संबंध में, सरकार की फैक्ट फाइंडिंग बॉडी द्वारा नकली या गलत या भ्रामक के रूप में पहचानी गई जानकारी को प्रदर्शित या प्रकाशित न करने के लिए इंटरमीडियरीज़ को उचित प्रयास करने के लिए बाध्य किया गया है।

    कामरा ने कहा कि वह राजनीतिक व्यंग्यकार हैं, जो अपनी सामग्री साझा करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं और विवादित नियम संभावित रूप से उनकी सामग्री को मनमाने ढंग से अवरुद्ध कर सकते हैं, डाउन कर सकते हैं, या उनके सोशल मीडिया अकाउंट को निलंबित या निष्क्रिय कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपूरणीय क्षति हो सकती है..."

    उन्होंने दावा किया कि इस संशोधन के बाद अगर सरकार की बॉडी ने उसे "नकली" के रूप में पहचाना तो मध्यस्थ सामग्री को हटा देगा, उसे भारत में अनुपलब्ध कर दिया जाएगा, अकाउंट को निष्क्रिय कर दिया जाएगा या इसे नकली के रूप में फ़्लैग कर दिया। उन्होंने संशोधन को रद्द करने और अंतरिम रूप से उन पर रोक लगाने की मांग की।

    पिछली सुनवाई में अदालत ने MeitY को कामरा की याचिका का जवाब देने और संशोधन के पीछे उनके कारण बताने का निर्देश दिया था। मामले की सुनवाई आज होनी थी, लेकिन खंडपीठ की अनुपलब्धता के कारण सोमवार को इस पर सुनवाई होगी।

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