पेंशन कर्मचारियों के लिए लाभकारी प्रावधान, इसकी सीमित व्याख्या इसके उद्देश्य को कमजोर करती है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Avanish Pathak

31 Aug 2023 9:08 AM GMT

  • पेंशन कर्मचारियों के लिए लाभकारी प्रावधान, इसकी सीमित व्याख्या इसके उद्देश्य को कमजोर करती है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही हाल ही में जोर देकर कहा कि पेंशन नियमों की कोई भी प्रतिबंधात्मक व्याख्या इसके उद्देश्य को कमजोर कर देगी। जस्टिस सत्येन वैद्य ने कहा कि पेंशन नियमों पर इस परिप्रेक्ष्य से विचार किया जाना चाहिए कि यह सरकारी कर्मचारी इसे जनता को दी गई सेवाओं के बदले अर्जित करता है।

    “एक सरकारी कर्मचारी जनता को दी गई सेवाओं के बदले में पेंशन अर्जित करता है। अपनी नौकरी के दरमियान मासिक परिलब्धियों के जरिए वह जो भी कमाता है, उसके अलावा यह वह सुरक्षा है, जिसके लिए वह जनता की सेवा करता है। पेंशन की राशि के वितरण के लिए मानक निर्धारित करने वाले नियमों पर उसी परिप्रेक्ष्य में विचार किया जाना चाहिए। चूंकि यह सरकारी कर्मचारी के लिए लाभकारी प्रावधान है, इसलिए कोई भी संकीर्ण निर्माण समान छूट देने के उद्देश्य को व्यर्थ करेगा।"

    मौजूदा मामला सरकारी कर्मचारी के रूप में 20 साल से अधिक सेवा दे चुके याचिकाकर्ता की पेंशन राशि के निर्धारण से संबंधित है। वह 31 अगस्त, 2017 को सेवानिवृत्त हो गई थीं। उन्होंने अंतिम बार प्राप्त मूल वेतन का 50% पेंशन राशि का मांग की। हालांकि, सरकार ने उसकी पेंशन 9658 रुपये प्रति माह तय की।

    सरकार की ओर से दलील दी गई कि चूंकि याचिकाकर्ता इस अधिसूचना के जारी होने से पहले सेवानिवृत्त हो गई थी, इसलिए वह इसके लाभ की पात्र नहीं थी।

    पीठ के सामने यह प्रश्न आया कि क्या याचिकाकर्ता 12 जून, 2018 की अधिसूचना का लाभ उठा सकती है, जिसके तहत 20 साल की क्वालिफाइंग सर्विस पूरी करने वाले तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए परिलब्धियों का पचास प्रतिशत पेंशन के रूप में देने की पात्रता बहाल कर दी गई ‌है।

    दोनों पक्षों की ओर से दिए गए तथ्यों और तर्कों की जांच करने के बाद जस्टिस वैद्य ने कहा कि अर्जित पेंशन सरकारी कर्मचारियों की ओर से दी गई सेवा की मान्यता है। यह उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है।

    उन्होंने पेंशन के व्यापक उद्देश्य पर जोर देते हुए, नियमों को इस तरह से परिभाषित करने के प्रति आगाह किया जो पेंशन के सार को ही नकार दे।

    कोर्ट ने फैसले में कहा कि 12 जून, 2018 को जारी अधिसूचना का उद्देश्य कर्मचारियों के एक पूरे वर्ग को लाभ पहुंचाना था और इसे जारी होने के बाद सेवानिवृत्त होने वाले लोगों तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए।

    उक्‍त कानूनी स्थिति के मद्देनजर, अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया, और अधिकारियों को फैसले की तारीख से आठ सप्ताह की समय सीमा के भीतर 12 जून, 2018 की अधिसूचना के अनुसार उसकी पेंशन फिर से तय करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: वीणा देवी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एचपी) 64

    फैसले को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story