पटना हाईकोर्ट ने चेंबर में इंटर्न से रेप की कोशिश के आरोपी एडवोकेट के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए केस दर्ज किया
Avanish Pathak
11 Jan 2023 8:32 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को निरंजन कुमार नामक एक एडवोकेट के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मुकदमा शुरू किया। उस पर पिछले महीने अपने ऑफिस में कानून की एक इंटर्न छात्रा से बलात्कार का प्रयास करने का आरोप लगा था।
चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने पटना हाईकोर्ट के 3 एसोसिएशनों की को-ऑर्डिनेशन कमेटी की ओर से एडवोकेट के खिलाफ पारित संकल्प के मौखिक उल्लेख के आधार पर मामला दर्ज किया।
एसोसिएशनों के पदाधिकारियों और अन्य एडवोकेटों ने बताया कि उक्त एडवोकेट कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है तथा न्यायालय परिसर में घूम रहा है. साथ ही पूर्व में भी वह इसी प्रकार की घटना कर चुका है।
इसे देखते हुए, कोर्ट ने रजिस्ट्री के लिए निम्नलिखित आदेश पारित किया,
“… इस न्यायालय के समक्ष पेश किए गए संकल्प/शिकायत को जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में तत्काल पंजीकृत करने और उसी पर कार्रवाई करने के बाद, इसे आज ही सूचीबद्ध करते हैं। हमें यह भी सूचित किया गया है कि उसी एडवोकेट के पिछले आचरण के संबंध में एक रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रजिस्ट्री में पड़ी है।
इसके अलावा, जब मामला बाद में अदालत के सामने आया तो उसने प्रस्तावों और एडवोकेट के खिलाफ आरोपों का अवलोकन किया और उसे नोटिस किया और इसे 19 जनवरी, 2023, यानी सुनवाई की अगली तारीख के लिए वापस करने का निर्देश दिया।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि बिहार स्टेट बार काउंसिल ने उन्हें तत्काल प्रभाव से भारत की किसी भी अदालत में प्रैक्टिस करने से निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया है। बिहार स्टेट बार काउंसिल द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए हाईकोर्ट ने मंगलवार को उसे सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश दिया।
ज्ञात हो कि चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू), पटना की एक 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट ने एडवोकेट कुमार के खिलाफ आरोप लगाया था।
उसकी शिकायत के अनुसार, वह एक दिसंबर, 2022 से कुमार के कार्यालय में एक इंटर्न के रूप में काम कर रही थी और अपनी इंटर्नशिप के आखिरी दिन (23 दिसंबर) को कुमार ने उससे 'गुरु दक्षिणा' के नाम पर यौन शोषण की मांग की, उसे रात में रहने के लिए कहा और अपने चेंबर में उससे दुष्कर्म का भी प्रयास किया।
हालांकि, उसने किसी तरह खुद को बचाया और घटना की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी, जिसके बाद एडवोकेट-आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई।
केस टाइटल- को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाम बिहार राज्य व अन्य की ओर से पारित संकल्प/शिकायत के आधार पर न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव पर।