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पटना हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मोतिहारी को निलंबित किया, विवादास्पद जमानत आदेश पारित करने का आरोप

LiveLaw News Network
10 Jan 2021 4:03 AM GMT
पटना हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मोतिहारी को निलंबित किया, विवादास्पद जमानत आदेश पारित करने का आरोप
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पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार (07 जनवरी) को एक आदेश जारी कर सूचित किया है कि सुधीर कुमार सिन्हा, सीजेएम, मोतिहारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

उल्‍लेखनीय है कि समाचार पोर्टल 'प्रभात खबर' ने भी छापा था कि पटना उच्च न्यायालय ने मोतिहारी सीजेएम सुधीर कुमार सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की है। उन्होंने एक विवादास्पद जमानत आदेश पारित किया था।

स‌िन्हा को बिहार न्यायिक सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 2020 के नियम 6 के उप-नियम (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अभ्यास से निलंबित कर दिया गया है। यह आदेश जांच लंबित होने तक या मोतिहारी ‌डिस्ट्र‌िक्ट जजशिप के साथ संबद्ध मुख्यालय के अगले आदेश तक लागू रहेगा।

यह आदेश दिया गया है कि इस अवधि में मौजूदा आदेश लागू रहेगा। सुधीर कुमार सिन्हा, सीजेएम, मोतिहारी बिना पूर्व अनुमति के स्टेशन नहीं छोड़ेंगे। हालांकि निलंबन अवधि में भी उन्हें बिहार सेवा संहिता के नियम 96 के अनुसार निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।

पटना हाईकोर्ट ने अक्टूबर, 2020 में चारा न्यायिक अधिकारियों को निलंबन करने का आदेश जारी किया था, क्योंकि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित थी।

साथ ही, उत्तराखंड उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए और राज्य सरकार की सिफारिश पर, उत्तराखंड सरकार ने एक सिविल जज को हरिद्वार, उत्तराखंड स्‍थ‌ित उनके निवास पर घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली एक नाबालिग लड़की (13 वर्षीय) को प्रताड़ित करने के मामले में सेवा से बर्खास्त कर दिया था।

उत्तराखंड सरकार ने बुधवार (21 अक्टूबर) को एक अधिसूचना जारी कहा था कि दीपाली शर्मा, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) (अंडर सस्पेंशन) को सेवा से हटा दिया गया है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय प्रशांत जोशी, जिला न्यायाधीश, देहरादून को को भी निलंबित करने का आदेश जारी कर चुकी है, जिन्होंने एक निजी ऑडी कार पर जिला न्यायाधीश, देहरादून का आधिकारिक बोर्ड लगाय था और 21 और 22 दिसंबर को एक कैंप अदालत का दौरा किया था।

उल्लेखनीय है कि ऑडी कार के मालिक केवल कृष्ण सोइन के खिलाफ, धारा 420, 467, 468, 471 और 120-बी आईपीसी के तहत पुलिस स्टेशन राजपुर, जिला देहरादून में प्राथमिकी दर्ज थी और प्राथमिकी रद्द कराने के लिए उनकी रिट याचिका (आपराधिक) उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित थी।

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