पटना हाईकोर्ट 15 साल की देरी से पेंशन भुगतान के लिए विधवा को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया
Shahadat
4 Nov 2023 4:01 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने एक विधवा को 5,00,000/- (पांच लाख) रुपये का मौद्रिक मुआवजा दिया। कोर्ट ने यह आदेश राज्य सरकार के अधिकारियों के उदासीन रवैये की निंदा करते हुए दिया, जिनके कारण उसे अपने पति की पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति देय राशि प्राप्त करने में 15 साल की देरी का सामना करना पड़ा।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की स्थिति को संबोधित करने में राज्य सरकार के अधिकारियों, विशेष रूप से खंड विकास अधिकारी, सर्कल अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रदर्शित लापरवाही पर गहरी चिंता व्यक्त की।
जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने कहा,
"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जा रहा है और याचिकाकर्ता को अन्य सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान पहले ही किया जा चुका है, यह न्यायालय केवल राज्य सरकार के अधिकारियों विशेष रूप से खंड विकास अधिकारी के तरीके पर अपनी चिंता दिखा सकता है। सर्कल अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता के प्रति उदासीन रवैया दिखाया है, जो विधवा और बूढ़ी अनपढ़ महिला है और उसे 15 साल की लंबी अवधि तक बिना किसी वित्तीय सहायता के दर-दर भटकने के लिए मजबूर किया गया, जो बहुत निंदनीय है।”
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन सहित विभिन्न मदों के तहत सेवानिवृत्ति बकाया के भुगतान में 15 साल की देरी की गई। यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता के पति की वर्ष 2008 में चौकीदार के पद पर तैनाती के दौरान मृत्यु हो गई।
केरल राज्य बनाम एम.पद्मनाभन नायर (1985) 1 एससीसी 429 और डीडी तिवारी बनाम उत्तर हरियाणा बिजली (2014) 8 एससीसी 894 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित उदाहरणों पर भरोसा किया। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति बकाया के भुगतान में देरी के कारण मुआवजे के साथ-साथ ब्याज का भी हकदार है।
न्यायालय ने निर्देश दिया,
“जिला मजिस्ट्रेट को याचिकाकर्ता को ब्याज के अलावा 5,00,000/- (पांच लाख) रुपये की क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया गया, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल राज्य बनाम एम.पद्मनाभन नायर ने (1985) 1 एससीसी 429 और डीडी तिवारी बनाम उत्तर हरियाणा बिजली (2014) 8 एससीसी 894 में मामले में निर्धारित किया है।
न्यायालय ने इस आदेश के पारित होने की तारीख से चार सप्ताह की अवधि के भीतर संबंधित प्राधिकारी द्वारा उपरोक्त कार्य पूरा करने का आदेश दिया।
उपरोक्त टिप्पणी/निर्देश के साथ न्यायालय ने रिट याचिका का निपटारा कर दिया।
याचिकाकर्ताओं के वकील: ओम प्रकाश महाराज।
प्रतिवादी/प्रतिवादियों के लिए वकील: मनीष कुमार (जीपी 4) श्री मनोज कुमार, एसी टू जीपी 4 और एजी (बिहार) के लिए वकील: रितिका रानी।
केस टाइटल: मोस्ट. जयमंती देव बनाम बिहार राज्य और अन्य
केस नंबर: सिविल रिट क्षेत्राधिकार केस नंबर 6338, 2023
निर्णय पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें