व्यक्ति को 'नकली मुद्रा व्यापारी' बताने वाली रिपोर्ट मामले में पत्रकार रजत शर्मा को राहत
Shahadat
19 July 2025 5:16 PM

पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 'इंडिया टीवी' के प्रधान संपादक और सह-संस्थापक पत्रकार रजत शर्मा को न्यूज रिपोर्ट के संबंध में राहत प्रदान की, जिसमें एक व्यक्ति को कथित तौर पर 'नकली मुद्रा व्यापारी' बताया गया था।
जस्टिस चंद्रशेखर झा की पीठ ने शिकायतकर्ता अमित कुमार द्वारा शर्मा के खिलाफ दायर शिकायत मामले की कार्यवाही के साथ-साथ बलपूर्वक कार्रवाई पर भी रोक लगा दी।
दरअसल, शिकायतकर्ता ने पटना सदर के सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में शर्मा के खिलाफ मामला दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि न्यूज रिपोर्ट ने उनकी छवि धूमिल की है और उन्हें काफी मानसिक और सामाजिक कष्ट पहुँचाया है।
उनका मामला यह था कि 21 अप्रैल, 2018 को पटना पुलिस ने उन्हें एक नकली मुद्रा रैकेट मामले में गिरफ्तार किया, जिसके बाद शर्मा के इंडिया टीवी द्वारा वीडियो क्लिप अपलोड और प्रसारित की गई, जिसमें उन पर नकली मुद्रा का कारोबार करने का आरोप लगाया गया था।
पिछले साल सितंबर में अदालत द्वारा संज्ञान में ली गई अपनी शिकायत में उन्होंने आगे कहा कि आरोपी से वीडियो हटाने के अनुरोध और बाद में कानूनी नोटिस जारी करने के बावजूद, आरोपी ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे शर्मा की दुर्भावनापूर्ण मंशा का पता चलता है।
इस मामले की कार्यवाही को चुनौती देते हुए शर्मा ने सीनियर एडवोकेट पीएन शाही, एडवोकेट अपूर्व हर्ष और मनु त्रिपुरारी के माध्यम से हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें तर्क दिया गया था कि विचाराधीन समाचार क्लिप पटना पुलिस द्वारा इंडिया टीवी समाचार चैनल को दी गई जानकारी पर आधारित थी।
यह भी तर्क दिया गया कि कथित न्यूज रिपोर्ट में शिकायतकर्ता को दोषी या निर्दोष नहीं ठहराया गया था, बल्कि केवल पुलिस अधिकारियों से प्राप्त तथ्यों को ही प्रस्तुत किया गया था।
यह भी दलील दी गई कि कथित मीडिया रिपोर्टिंग के 5 साल बाद मामला दर्ज किया गया और यह किसी व्यक्ति को जानबूझकर अपमानित करने या उकसाने का मामला नहीं था, जहां ऐसा उकसावा उसे सार्वजनिक शांति भंग करने या कोई अपराध करने के लिए प्रेरित करे।
अंत में, यह तर्क दिया गया कि संज्ञान बहुत जल्दबाजी में लिया गया, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि यह IT Act की धारा 66(ए)(बी) के तहत अपराध के लिए भी लिया गया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक ठहराया था।
शर्मा के वकीलों की दलीलों पर विचार करते हुए न्यायालय ने मामले की कार्यवाही पर रोक लगाकर उन्हें राहत प्रदान की।