हनी सिंह के गाने के खिलाफ एक्ट्रेस नीतू चंद्रा की याचिका खारिज, महिलाओं को वासना की वस्तु के रूप में चित्रित करने का लगाया था आरोप
Shahadat
24 April 2025 4:09 AM

गायक हनी सिंह के कथित अश्लील गाने के प्रसारण और ऑनलाइन प्रसार को चुनौती देने वाली एक्ट्रेस नीतू चंद्रा द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। पटना हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए निर्देश दिया कि ऐसी शिकायतों को पहले सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (IT Rules) के तहत स्थापित वैधानिक तंत्र के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा,
"केंद्र सरकार के वकील एडवोकेट आलोक कुमार ने इस न्यायालय का ध्यान IT Act और आचार संहिता नियम, 2021 के विभिन्न प्रावधानों की ओर आकर्षित किया, जिसमें किसी भी पक्ष द्वारा आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने के लिए प्रदान की गई निवारण प्रणाली, यानी ऐसे अश्लील गीतों के प्रसारण को रोकने के लिए शामिल है।"
तदनुसार, न्यायालय ने कहा कि संबंधित नियामक प्राधिकरणों को मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत कार्रवाई करनी है।
न्यायालय ने निर्देश दिया,
"इस प्रकार यह अपेक्षित है कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा 2021 के संहिता नियमों के शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के समक्ष ऐसी शिकायत की जाती है तो संबंधित अधिकारी मामले को गंभीरता से देखेंगे और कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे।"
इस प्रकार, हाईकोर्ट द्वारा याचिका का निपटारा कर दिया गया।
बाते दें कि एक्ट्रेस ने हनी सिंह के नए गाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म से इसे हटाने के निर्देश भी शामिल थे। उसने तर्क दिया कि यह गाना "कामुक, अश्लील और सार्वजनिक रूप से प्रसारित या प्रदर्शित होने के लिए उपयुक्त सामग्री नहीं है"। साथ ही यह युवा और संवेदनशील दिमागों पर हानिकारक प्रभाव डालेगा।
महिलाओं को वासना की वस्तु के रूप में चित्रित करने के लिए भोजपुरी भाषा के उपयोग से विशेष रूप से परेशान चंद्रा ने तर्क दिया कि ऐसी सामग्री भोजपुरी को अश्लील भाषा के रूप में गलत और हानिकारक धारणा को मजबूत करती है। इससे पहले, मामले को आदेश पारित करने के लिए 7 मार्च, 2025 को तय किया गया था।
हालांकि, शुरू में एक्टिंग चीफ जस्टिस और जस्टिस सारथी की वही खंडपीठ कोई आदेश पारित करने के लिए इच्छुक नहीं थी, बल्कि इस मामले को जनहित के बजाय प्रचार हित का मामला माना था। याचिकाकर्ता के वकील ने तब हस्तक्षेप किया और न्यायालय से कम से कम प्रतिबंधात्मक आदेश की मांग की।
हालांकि, खंडपीठ ने उसे उचित नियामक प्राधिकरण से संपर्क करने के लिए कहा। न्यायालय ने कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह मामले पर संघ की राय लेना चाहता था और मामले को बाद की तारीख के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
केस टाइटल: नीतू चंद्रा बनाम भारत संघ और अन्य