बच्चों के समग्र विकास में माता-पिता दोनों शामिल हैं, सेटलमेंट एग्रीमेंट में यह प्रतिबिंबित होना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
Avanish Pathak
13 May 2022 3:58 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि बच्चों के समग्र विकास में माता-पिता दोनों को शामिल होने चाहिए और सेटलमेंट एग्रीमेंट में यह प्रतिबिंबित होना चाहिए।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने फैमिली कोर्ट के एक आदेश के कथित गैर-अनुपालन के मद्देनजर पत्नी की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दरमियान यह टिप्पणियां कीं।
याचिकाकर्ता पत्नी की ओर से पेश वकील ने कहा कि प्रतिवादी पति ने उस आदेश का उल्लंघन किया जो एक सेटलमेंट एग्रीमेंट पर आधारित था क्योंकि पति न तो दूसरे समझौते के लिए आगे आ रहा था और न ही वह बच्चे के मौद्रिक निस्तारण के संबंध में अपने दायित्वों को पूरा कर रहा था।
दूसरी ओर, प्रतिवादी पति की ओर से पेश वकील ने कहा कि पत्नी बच्चों को पिता से मिलने की अनुमति नहीं दे रही थी और उसे अपने बच्चों के साथ सक्रिय रूप में से बॉन्डिंग विकसित करने से रोक रही थी।
सेटलमेंट एग्रीमेंट पर विचार करते हुए, न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादी पति के मुलाकात के अधिकार बच्चों की इच्छाओं पर निर्भर थे।
कोर्ट ने कहा,
"यह वस्तुतः प्रतिवादी/पति के अपने बच्चों से मिलने के अधिकार को समाप्त कर देता है और पिता और उसके बच्चों के बीच एक सुरक्षित लगाव के विकास को रोकता है। यह बच्चों के विकास में सहायता करने के लिए प्रतिवादी/पिता पर कोई जिम्मेदारी तय नहीं करता है।"
कोर्ट ने कहा,
"बच्चों के समग्र विकास में आदर्श रूप से माता-पिता दोनों शामिल होने चाहिए और सेटलमेंट एग्रीमेंट को उसी को प्रतिबिंबित करना चाहिए।"
इसी के मुताबिक, अदालत ने बच्चों के भविष्य के लिए माता-पिता दोनों की जिम्मेदारियों की एक व्यापक अभिभावक योजना तैयार करने के लिए मामले को दिल्ली हाईकोर्ट मध्यस्थता और सुलह केंद्र को वापस भेज दिया।
कोर्ट ने कहा,
"दोनों पक्षों को 20.05.2022 को 11:00 बजे मध्यस्थता केंद्र में उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट का मध्यस्थता और सुलह केंद्र से अनुरोध है कि उक्त अभिभावक योजना तैयार करने के लिए एक वरिष्ठ मध्यस्थ नियुक्त करें।"
मामले की सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
शीर्षक: एक्स बनाम वाई
सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 441