बार के 250 से अधिक सदस्यों ने एक प्रतिनिधित्व बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपा, सुरक्षा उपायों के साथ फिजिकल हियरिंग फिर से शुरू करने की मांग

LiveLaw News Network

21 July 2020 9:00 AM IST

  • बार के 250 से अधिक सदस्यों ने एक प्रतिनिधित्व बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपा, सुरक्षा उपायों के साथ फिजिकल हियरिंग फिर से शुरू करने की मांग

    बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष एक प्रतिनिधित्व दायर किया गया है,जिसे बार के 250 से अधिक सदस्यों ने अपना समर्थन दिया है, जिनमें कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता भी शामिल हैंं। इस प्रतिनिधित्व में मांग की गई है कि फिजिकल हियरिंग फिर से शुरू की जाए या वैकल्पिक रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नियमित सुनवाई शुरू की जाए।

    बीए देसाई, यूसुफ मुछला, रजनी अय्यर और आरिफ बुकवाला जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नाम उन 254 अधिवक्ताओं की सूची में शामिल हैं, जिन्होंने उक्त प्रतिनिधित्व का समर्थन किया है।

    लाइव लॉ से बात करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता बीए देसाई ने कहा कि-

    ''कहने की जरूरत नहीं है कि अदालतों में सोशल डिस्टेंसिंग, तापमान जांच आदि सभी सुरक्षा सावधानियों का पालन किया जाना चाहिए। लेकिन नियमित रूप से सार्वजनिक सुनवाई फिर से शुरू होनी चाहिए। एक ऐसी व्यवस्था हो सकती है जिसमें सुनवाई सिर्फ दलीलें देने तक सीमित कर दी जाए। वहीं एक बार में एक ही वकील को अदालत के अंदर आने की अनुमति दी जाए। इसी तरह मुविक्कल के साथ उसके एक प्रतिनिधि को ही कोर्टरूम में जाने की अनुमति दी जा सकती है।

    सभी हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के अधिकारों के संरक्षक हैं। कई हाईकोर्ट में पहले ही नियमित सुनवाई शुरू कर दी गई है। इसके अलावा, कुछ वकीलों के लिए वर्चुअल सुनवाई एक बाधा हो सकती है क्योंकि वे तकनीक के साथ उतने सहज नहीं हैं। विशेष रूप से निचली अदालतों में जहां अधिवक्ता अंग्रेजी की तुलना में मराठी में बेहतर रूप से वाकिफ हैं, लेकिन वर्चुअल सुनवाई अंग्रेजी में आयोजित की जाती है।''

    प्रतिनिधित्व में कहा गया है कि-

    "पिछले साढ़े तीन महीनों के दौरान मुंबई में बॉम्बे हाईकोर्ट और इसकी बेंच अपनी पूर्ण संख्या या बल से काम करने में असमर्थ रही हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के वर्चुअल माध्यम से अदालती सुनवाई करना इस स्थिति का अस्थायी समाधान है, जो न्याय प्रशासन प्रणाली की व्यापक जरूरतों और मुकदमों के बोझ से निपटने के लिए अपर्याप्त है।

    इसके अलावा, मौजूदा स्थिति लंबित मुकदमों को निपटाने में बाधा बन रही है जो वित्तीय विकास को धीमा कर रहे हैं और वर्तमान आर्थिक संकट को बढ़ा रहे हैं। इस समय न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग कहे जाने वाले वकील भी परेशान हो रहे हैं।

    अदालतों के सीमित कामकाज के कारण, अधिकांश वकीलों की प्रोफेशनल आय शून्य हो गई है। इस समय के दौरान वकील, विशेष रूप से जूनियर वकीलों को अपना जीवनयापन करना मुश्किल हो रहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक सीमित सीमा तक कार्य करने के लिए भी व्यापक बुनियादी ढांचे की जरूरत पड़ रही है,जिसमें काफी लागत भी आ रही है।''

    यह भी कहा गया है कि अन्य हाईकोर्ट फिर से फिजिकल सुनवाई शुरू करने के विकल्प तलाश कर रही हैं। 5 जून, 2020 को कलकत्ता हाईकोर्ट की तरफ से जारी एक अधिसूचना ''बहुत जानकारी देने और शिक्षित करने'' वाली थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे आगे बढ़ें और कैसे फिजिकल हियरिंग शुरू करने के लिए योजना बनाएं।

    दिल्ली हाईकोर्ट,जो शहर की जनसख्ंया के हिसाब से बॉम्बे हाईकोर्ट के काफी करीब है और वहां संक्रमित और सक्रिय कोरोना मामले की संख्या भी अधिक है। फिर भी दिल्ली हाईकोर्ट में फिजिकल हियरिंग शुरू कर दी गई है, हालांकि फिलहाल अस्थायी तौर पर इस व्यवस्था को रोका हुआ है। कलकत्ता हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार, 6 जुलाई, 2020 से फिजिकल हियरिंग या सुनवाई शुरू कर दी थी।

    इसलिए इस परिदृश्य में यह जरूरी हो गया है कि हाईकोर्ट फिजिकल या भौतिक रूप में कामकाज फिर से शुरू कर दें। चूंकि न्यायाधीशों, वकीलों और अदालत के कर्मचारियों की सुरक्षा के संबंध में कुछ प्रतिबंध लगाकर और विस्तृत नियम लागू करके ऐसा किया जाना संभव है। इस महामारी को खत्म होने या कम होने में समय लग सकता है। ऐसे में इस परीक्षा की घड़ी में , हमें एक संस्था के रूप में न्याय प्रशासन के प्रति अपने महान कर्तव्य को पूरा करने के लिए अन्य अदालतों में प्रचलित सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना होगा।

    अंत में, मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया गया है कि वे नियमित शारीरिक सुनवाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरू करने या एक 'हाइब्रिड सिस्टम'(जिसमें वुर्चअल और फिजिकल हियरिंग,दोनों शामिल हो) अपनाने पर विचार करने करें।

    यह भी कहा गया है कि-

    '' हाल ही में एक समाचार आया था कि वित्तीय समस्याओं के कारण एक वकील ने आत्महत्या कर ली है। कुछ अधिवक्ताओं और कानून फर्मों ने अपने कार्यालय खाली कर दिए हैं क्योंकि वे किराए का भुगतान करने में असमर्थ हैं। वेतन में बड़ी कटौती, वेतन भुगतान में देरी, नौकरी से हटाना या नौकरी से हटाए जाने का खतरा, मामलों को आगे बढ़ाने के लिए मुविक्कलों के घटते विश्वास या आक्रामकता और भविष्य की संभावनाओं की पूर्ण अनिश्चितता जैसे कुछ ऐसे उदाहरण है,जिन पर मुख्य न्यायाधीश द्वारा तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।''

    पत्र की प्रति डाउनलोड करें



    Next Story