मप्र आवास नियंत्रण अधिनियम की धारा 10 के तहत किराया निर्धारण के लिए दिया गया आदेश निष्पादन योग्य नहीं; बकाया वसूलने के लिए मकान मालिक दीवानी मुकदमा दायर करें : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
Avanish Pathak
4 May 2023 4:57 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही एक फैसले में कहा कि मध्य प्रदेश आवास नियंत्रण अधिनियम, 1961 की धारा 10 के तहत पारित एक आदेश निष्पादन योग्य नहीं है और बकाया राशि की वसूली के लिए मकान मालिक को मुकदमा दायर करना होगा।
मध्य प्रदेश आवास नियंत्रण अधिनियम, 1961 की धारा 10 में किराया नियंत्रण प्राधिकारी को मानक किराया आदि निर्धारित करने का प्रावधान है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की खंडपीठ ने त्रिवेणी बाई (श्रीमती) बनाम श्रीमती विमला बाई में न्यायालय के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा,
त्रिवेणी बाई (श्रीमती) (सुप्रा) के मामले में इस न्यायालय की समन्वय पीठ ने माना है कि मध्य प्रदेश आवास नियंत्रण अधिनियम की धारा 10 के तहत पारित आदेश निष्पादन योग्य नहीं है और यदि मकान मालिक बकाया राशि की वसूली करना चाहता है, तो उसे दीवानी मुकदमा दायर करना होगा ...
मामले के तथ्य यह थे कि रेंट कंट्रोलिंग अथॉरिटी द्वारा 1961 के अधिनियम की धारा 10 के तहत एक आदेश पारित किया गया था, जिससे मानक किराया निर्धारित किया गया था। उक्त आदेश के खिलाफ अपील विचाराधीन थी। मानक किराया निर्धारित करने का आदेश निष्पादन हेतु ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखा गया। निष्पादन की कार्यवाही में, याचिकाकर्ता ने आगे की कार्यवाही पर रोक के लिए एक आवेदन दायर किया। हालांकि, याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया गया था। परेशान होकर याचिकाकर्ता ने कोर्ट का रुख किया।
याचिकाकर्ता ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि 1961 के अधिनियम की धारा 10 के तहत एक आदेश 1961 के अधिनियम की धारा 35 के तहत निष्पादन योग्य नहीं है। यह माना गया कि धारा 10 के तहत पारित आदेश को निष्पादित करने के लिए, मकान मालिक को या तो बकाया की वसूली के लिए मुकदमा दायर करना होगा या बेदखली के लिए मुकदमा दायर करना होगा।
पक्षकारों के प्रस्तुतीकरण और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों की जांच करते हुए, अदालत ने याचिकाकर्ता की दलीलों में योग्यता पाई। यह देखा गया कि ट्रायल कोर्ट ने 1961 के अधिनियम की धारा 10 के तहत एक आदेश निष्पादन योग्य नहीं होने के लिए निष्पादन की कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई थी।
उक्त टिप्पणियों के साथ याचिका की अनुमति दी गई थी और निचली अदालत के समक्ष आगे की कार्यवाही निष्पादन की कार्यवाही की तुलना में अपील के लंबित रहने तक रोक दी गई थी। तदनुसार, मामले का निस्तारण किया गया।
केस टाइटल: विपिन कुमार मेहता बनाम राज कुमार जैन [एम.पी. 4844/2021]