हाईकोर्ट में केवल छह महिला न्यायाधीश चिंता का विषय : केरल एडवोकेट जनरल

LiveLaw News Network

20 Oct 2021 2:39 PM GMT

  • हाईकोर्ट में केवल छह महिला न्यायाधीश चिंता का विषय : केरल एडवोकेट जनरल

    केरल हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में जस्टिस सी जयचंद्रन, जस्टिस सोफी थॉमस, जस्टिस पीजी अजितकुमार और जस्टिस सीएस सुधा का शपथ ग्रहण समारोह बुधवार को हुआ।

    मुख्य न्यायाधीश एस.मणिकुमार ने संबंधित न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई।

    अपने औपचारिक अभिनंदन भाषण के दौरान महाधिवक्ता गोपालकृष्ण ने राज्य पर अधिक ध्यान देने के साथ भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के बारे में उल्लेखनीय टिप्पणियां कीं।

    उन्होंने कहा,

    "अपने इतिहास के साढ़े छह दशकों में पहली बार इस माननीय न्यायालय की वास्तविक वर्तमान न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 41 हो गई। साथ ही महिला न्यायाधीशों की संख्या भी बढ़कर छह हो गई। हमारे हाईकोर्ट में छह महिला न्यायाधीश हैं,लेकिन इसे हमारे राज्य में महिलाओं के जनसांख्यिकीय अनुपात को प्रतिबिंबित करने वाला नहीं कहा जा सकता।"

    अपने संबोधन में महाधिवक्ता ने स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों के सक्रिय नामांकन के बावजूद पीठ में महिलाओं के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर चिंता व्यक्त की।

    उन्होंने कहा,

    "ऐसे राज्य में जहां कन्या भ्रूण हत्या शून्य है, जहां स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों का नामांकन शत प्रतिशत है। यदि शत प्रतिशत नहीं है और जहां महिलाओं को सार्वजनिक रोजगार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलता है और वह भी कई मामलों में पुरुषों से अधिक है, वहां तथ्य यह है कि हाईकोर्ट में केवल छह महिला न्यायाधीश निश्चित रूप से विचार का विषय है। इन न्यायाधीशों में से केवल एक को बार से सीधे न्यायाधीश बनाया गया है। क्या यह चिंता का विषय नहीं है?"

    हालांकि, उन्होंने अपने संबोधन को एक आशावादी नोट पर समाप्त किया। उन्होंने यह देखते हुए कि भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने हाल ही में आग्रह किया था कि महिलाओं को अधिकार के रूप में न्यायिक नियुक्तियों में अधिक प्रतिनिधित्व की मांग करनी चाहिए।

    उन्होंने कहा,

    "बेशक, आशा की किरण यह है कि हमारे पास देश में एक मुख्य न्यायाधीश हैं, जिन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया कि न्यायिक नियुक्तियों में महिलाओं का 50% आरक्षण उनके अधिकार के रूप में है, दान के रूप में नहीं।"

    समारोह के दौरान शपथ ग्रहण करने वाले न्यायाधीशों में से जस्टिस सोफी थॉमस और जस्टिस सीएस सुधा ने भी इस तथ्य पर टिप्पणी की कि वे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और केरल न्यायिक अकादमी के अतिरिक्त निदेशक के रूप में अपने पिछले पदों पर नियुक्त होने वाली वाली पहली महिला रहीं।

    जस्टिस थॉमस ने अपने संबोधन में कहा:

    "लगभग तीन दशक की सेवा के बाद मुझे इस प्रतिष्ठित संस्थान की पहली महिला रजिस्ट्रार जनरल बनने के लिए आमंत्रित किया गया था। मैं मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार की आभारी हूं कि उन्होंने ऐसा साहसिक निर्णय लिया और एक महिला को पहली बार केरल हाईकोर्ट का प्रशासनिक प्रमुख बनाकर इतिहास रच दिया।"

    जस्टिस सुधा ने इसके बाद दिए अपने संबोधन में केरल न्यायिक अकादमी की पहली महिला निदेशक के रूप में अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा:

    "केरल न्यायिक अकादमी, जिसे पहले प्रशिक्षण निदेशालय के रूप में जाना जाता था, वर्ष 1936 में अपनी स्थापना से 32 लंबे वर्षों से नवंबर 2018 तक इसके निदेशकों में कभी भी एक महिला नहीं थी। इसके लिए मैं न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय के प्रति मेरा आभार व्यक्त करती हूं। सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश का भी मैं आभार व्यक्त करती हूं कि उन्होंने मुझे अकादमी के अतिरिक्त निदेशक के रूप में चुनने के लिए स्थापित परंपरा को तोड़ा।"

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