ऑनलाइन जुआ: दिल्ली हाईकोर्ट ने कौशल और अवसर के खेल के बीच विनियमन, अंतर की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Avanish Pathak

26 May 2022 10:38 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट, दिल्ली

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कौशल के खेल और मौके के खेल के बीच अंतर करने के लिए और यह तय करने के लिए कि कानू के तहत क्या अनुमति है, एक नियामक संस्था का गठन करके ऑनलाइन गेमिंग के नियमन की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है।

    कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस सचिन दत्ता की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता से दिल्ली सरकार को प्रतिवादी पक्ष के रूप में पेश करने के लिए कहा, क्योंकि जुआ भारतीय संविधान की अनुसूची VII में सूची II के तहत प्रविष्टि 34 के तहत राज्य का विषय है।

    इसी तरह के मुद्दों को उठाते हुए एक अन्य रिट याचिका 9436/2020 के साथ मामले को 16 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    एडवोकेट अतुल बत्रा द्वारा दायर मौजूदा जनहित याचिका में ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और ऐसे खेलों को रोकने के लिए, जो कौशल का खेल नहीं हैं, (जैसा कि कानून में अनुम‌ति है) विधि आयोग द्वारा अनुशंसित एक नियामक निकाय बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए परमादेश की रिट की मांग की गई है।

    इस मामले में गृह मंत्रालय, आईटी मंत्रालय और खेल मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि 'लीगल फ्रेमवर्क: गैंबलिंग एंड स्पोर्ट्स बेटिंग इनक्लूडिंग इन क्रिकेट इन इंडिया' शीर्षक वाली रिपोर्ट में विधि आयोग की सिफारिश के बावजूद कौशल के नाम पर ऑनलाइन सट्टेबाजी के कई खेल चल रहे हैं। यह ऑनलाइन गेमिंग नियमों को विनियमित करने के लिए उपयुक्त अधिकारियों से निर्देश मांगता है और शिकायत निवारण तंत्र के साथ ऑनलाइन गेम को पूर्व-अनुमोदित करने के लिए एक नियामक स्थापित करता है।

    इसने क्रिकेट मिलियनेयर प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ उचित कार्रवाई की भी मांग की, जो कथित तौर पर क्रिकेट मिलियनेयर, ओवर गेम, फैंटेसी गेम्स और स्पोर्ट द क्रिकेट बॉल, गेम्स ऑफ चांस गेम चलाकर जुआ चलाता है।

    इसमें आगे उल्लेख किया गया है कि यदि मांगी गई राहत की अनुमति दी जाती है, तो इससे (ए) स्कूली छात्र जिनके पास कंप्यूटर / मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की मुफ्त पहुंच है; (बी) सट्टेबाजी के आदी व्यक्ति; और (सी) कॉलेज के छात्र को मदद मिलेगी।

    सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता वैभव गग्गर ने अदालत को बताया कि संबंधित मंत्रालय इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, सट्टेबाजी और जुआ राज्य का विषय होने के कारण, केंद्र इस पहलू पर राज्य की सहमति के बिना कानून नहीं बना सकता है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम ऑनलाइन जुए की चिंताओं को दूर नहीं करता है और अन्य राज्यों में भी, इस मुद्दे को न्यायपालिका द्वारा ही निर्धारित किया गया है।

    केस टाइटल: अतुल बत्रा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया


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