मीडिया के हाथ लगने से लीक करने के आरोप खुद ही स्थापित हो जाते हैंः दिल्ली हाईकोर्ट ने आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर दिल्ली पुलिस से कहा

LiveLaw News Network

6 March 2021 9:13 AM GMT

  • मीडिया के हाथ लगने से लीक करने के आरोप खुद ही स्थापित हो जाते हैंः दिल्ली हाईकोर्ट ने आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर दिल्ली पुलिस से कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार आसिफ इकबाल तन्हा द्वारा मीडिया को उनके कथित इकबालिया बयान के लीक होने के संबंध में की गई शिकायत के जवाब में दिल्ली पुलिस के अड़ियल रुख से कड़ी नाराजगी जताई।

    दिल्ली पुलिस के लिए सरकारी वकील अमित महाजन ने इस दावे का खंडन किया कि सबूत पुलिस द्वारा लीक किए गए थे।

    उन्होंने कहा कि उन पर आरोपों की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती।

    अदालत ने इस पर कहा कि मामला पहले से ही आरोपों साबित होने से परे है, क्योंकि पुलिस की रिपोर्ट पहले ही लीक हो चुकी है और मीडिया के पास विशेष जानकारी होने के कारण आरोप लगाए गए हैं।

    न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा,

    "समस्या यह है कि आपकी रिपोर्ट पहले से ही लीक हो गई है। ये केवल आरोप नहीं हैं। एक बार मीडिया के हाथ लगने से लीक करने के आरोप खुद ही स्थापित हो जाते हैं।"

    न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि हालांकि अदालत उनके वांछित होने पर सुनवाई के लिए तैयार है। इस पर महाजन ने जवाब दिया कि वे अतिरिक्त हलफनामे के जवाब में एक हलफनामा दायर करेंगे, जो तन्हा द्वारा दायर किया जाना है।

    न्यायमूर्ति गुप्ता ने दिल्ली पुलिस से कहा,

    "यदि आप बहस करना चाहते हैं तो कृपया, मैं सुनने के लिए तैयार हूं। लेकिन कृपया यह समझें कि यह आरोपों के चरण से परे है।"

    कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को तय की है।

    पीठ ने तन्हा को अपने दावे पर एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने के लिए भी कहा। ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके मामले में पूरक आरोप पत्र को संज्ञान लेने से पहले ही मीडिया को लीक कर दिया गया या एक प्रति उन्हें आपूर्ति की गई है।

    अदालत ने तन्हा के विवाद का उल्लेख किया और कहा,

    "हमने देखा है कि पूरक आरोप पत्र पहले ही लीक हो चुका है। इससे पहले भी संज्ञान लिया जा सकता है या अभियुक्त को प्रतिलिपि आपूर्ति की गई है। आप कृपया एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करें। हम देखेंगे कि वे अप्रत्यक्ष रूप से क्या कर सकते हैं, क्योंकि वे सीधे नहीं कर सकते।"

    न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा,

    "यदि यह उनका रवैया है, तो हम देखेंगे कि क्या किया जाना है।"

    इससे पहले न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने सोमवार को दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में सुनवाई करते हुए आसिफ इकबाल तनहा की रिट याचिका पर उनके मीडिया ट्रायल के खिलाफ दिल्ली पुलिस के सतर्कता विभाग को जमकर तलाड़ लगाई थी।

    पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि,

    "यह जांच छोटी-मोटी चोरी के मामले से भी बदतर है।"

    सतर्कता पूछताछ के लीक होने के स्रोत को स्थापित करने में विफल होने के कारण अधिकारियों को कठोर आदेशों की चेतावनी देते हुए अदालत ने यह भी कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर विशेष पुलिस आयुक्त (विजिलेंस) को उपस्थित होना होगा।

    अदालत ने जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष को खारिज करते हुए कि मीडिया लीकेज के आरोप निराधार हैं, अदालत ने कहा कि केस फाइल की सूचना लीक केवल इसलिए असुरक्षित नहीं हो गई, क्योंकि दिल्ली पुलिस लीक के स्रोत की पहचान करने में विफल रही है।

    अदालत ने देखा कि जो डिस्क्लोजर स्टेटमेंट लीक हो गया है, वह मीडिया के लिए "सड़क पर पड़ा हुआ" कोई दस्तावेज नहीं है, जिसे आसानी से एक्सेस किया जा सके। अदालत ने आगे कहा कि यह मामला वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा हैंडल किया गया है।

    दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्र सरकार के स्थायी वकील अमित महाजन ने यह स्वीकार किया कि लीकेज अवांछनीय है, जिसके लिए अदालत ने कहा कि यह सिर्फ "अवांछनीय ही नहीं है। बल्कि यह अभियुक्त और जाँच की निष्पक्षता के प्रति पूर्वाग्रह है।"

    अदालत ने यह भी कहा कि यह अवमानना भी है।

    अदालत ने कहा,

    "आप ध्यान दें, ये वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। आपने कहां पूछताछ की, आपने किससे पूछताछ की? फाइलें कहां भेजी गईं? कौन उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) और गृह मंत्रालय (MHA) के पास ले गया? और उन्हें वहां से वापस कौन लाया?"

    तन्हा का मामला यह है कि ज़ी न्यूज़ सहित कई मीडिया चैनलों ने अपनी रिपोर्ट में तन्हा के 'डिस्क्लोजर स्टेटमेंट' के तथ्यों का हवाला दिया था, जो आधिकारिक केस रिकॉर्ड का एक हिस्सा था और चैनलों ने स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के अधिकार के प्रति पूर्वाग्रह पैदा किया और उसे मीडिया ट्रायल के लिए इस्तेमाल किया।

    वहीं तन्हा के लिए पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने 18 अगस्त, 2020 को प्रसारित ज़ी रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि यह रिपोर्ट उस खुलासे पर आधारित है जिसमें आरोप लगाया गया था कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ ने दिल्ली में बसों में आग लगा दी थी और उसने दंगों में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

    अग्रवाल ने कहा कि हालांकि डिस्क्लोजर स्टेटमेंट पर किसी भी अदालत में भरोसा नहीं किया जाएगा, लेकिन उनकी समस्या यह है कि कोर्ट में पहली बॉल आने से पहले यह लीक हो गया। तन्हा ने कथित रूप से हिंसक समाचार रिपोर्टों को हटाने और इस पर एक निष्पक्ष जांच के लिए प्रार्थना की है कि आखिर किस तरह यह जानकारी लीक हो गई।

    उनके वकील ने कहा कि 15 अक्टूबर, 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को स्रोत का खुलासा करने का निर्देश दिया था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन में उन्होंने इस साल 16 जनवरी को केवल एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि लीकेज के आरोप "असंबद्ध" थे।

    अग्रवाल ने यह कहते हुए एजेंसी के आचरण पर भी सवालिया निशान खड़ा किया कि अगर यह "एक एजेंसी है, जो केवल अपने लोगों की रक्षा के बारे में चिंतित है," और इसलिए उसी एजेंसी द्वारा एक और जांच का कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने मामले की स्वतंत्र जांच की प्रार्थना की।

    दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि उसने पूरी केस फाइल जीएनसीटीडी और एमएचए को भेज दी थी। अदालत ने जिस तरह से पूछताछ की गई उस पर भी असंतोष जाहिर किया। अदालत ने 5 मार्च को विशेष अदालत (विजिलेंस) से वर्चुअल कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने के लिए कहकर सुनवाई को स्थगित कर दिया।

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