जब एक बार आपराधिक अदालत एक व्यक्ति को लापरवाही से ड्राइविंग का दोषी ठहरा चुकी है तो मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण यह नहीं मान सकता कि चालक को कोई और व्यक्ति था: कर्नाटक हाईकोर्ट

Avanish Pathak

8 May 2023 7:31 PM IST

  • जब एक बार आपराधिक अदालत एक व्यक्ति को लापरवाही से ड्राइविंग का दोषी ठहरा चुकी है तो मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण यह नहीं मान सकता कि चालक को कोई और व्यक्ति था: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक बार जब सक्षम आपराधिक अदालत दुर्घटना करने वाले वाहन के चालक को दोषी पाता है, उसे तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने और मौत का कारण बनने के आरोप में दोषी ठहराता है तब मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण का निष्कर्ष कि कार का चालक कोई अन्य व्यक्ति था, स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस एन एस संजय गौड़ा की सिंगल जज बेंच ने ट्रिब्यूनल के उस निष्कर्ष को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि बीमा कंपनी भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं थी क्योंकि अथौल्ला खान (ड्राइवर) दुर्घटना में शामिल नहीं था, क्योंकि एमएलसी रजिस्टर और घाव प्रमाण पत्र में चालक, जिसने दुर्घटना की थी का नाम अमीर जान खान का पुत्र अख्तर दिखाया गया, जिसने दुर्घटना की थी।

    पीठ ने कहा,

    "अगर बीमाकर्ता के इस दावे को स्वीकार कर लिया जाता है कि अथौल्ला खान ड्राइवर नहीं था, तो अनिवार्य रूप से अथौल्ला खान को बरी कर दिया जाएगा और मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्यवाही में दोषसिद्धि का आदेश ही पलट दिया जाएगा, जो स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।"

    दावेदारों ने कहा था कि मृतक शुकरु साब अपनी पोती वसीला के साथ भदरी दुकान के पास खड़े थे, अथौल्ला खान द्वारा चलायी जा रही एक कार उनसे टकरा गई, जिसके परिणामस्वरूप, शुकरु साब को गंभीर चोटें आईं और उन्होंने चोटों के कारण दम तोड़ दिया। उनकी पोती वसीला को भी चोटें आई। इसलिए उन्होंने मुआवजे की मांग की है।

    हालांकि, बीमा कंपनी ने दावे का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस ने दावेदार के साथ मिलीभगत कर अथौल्ला खान के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, जो दुर्घटना में शामिल नहीं था। एमएलसी रजिस्टर और घाव प्रमाण पत्र में ड्राइवर का नाम अख्तर दिखाया गया, जबकि अख्तर के पास कोई ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।

    पीठ ने कहा कि दुर्घटना के बाद कार के चालक को भी चोटें आई हैं और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जांच करने वाले डॉक्टर ने कहा कि 'अख्तरुल्ला खान' अर्धचेतन अवस्था में था और शराब के प्रभाव में था। उन्होंने यह भी कहा है कि मरीज का नाम एमएलसी रजिस्टर में दर्ज था।

    पीठ ने कहा,

    "यह स्थापित करने के लिए कि अस्पताल में भर्ती व्यक्ति पहले प्रतिवादी (अथौल्ला खान) के रूप में पेश किए गए व्यक्ति से अलग था, बीमाकर्ता द्वारा केवल चिकित्सा रिकॉर्ड की प्रविष्टियों का लाभ उठाने की कोशिश के अलावा कोई सबूत नहीं दिया गया है।

    यह देखते हुए कि पुलिस ने जांच के बाद अथौल्‍ला खान के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया और आपराधिक न्यायालय ने परीक्षण के बाद निष्कर्ष निकाला है कि यह अथौल्ला खान था, जो कार को तेज और लापरवाही से चला रहा था और उसे भी दोषी ठहराया गया है, खंडपीठ ने कहा, "अथौल्ला खान को आपराधिक न्यायालय के हाथों हुई सजा के आलोक में, यह नहीं माना जा सकता है कि दुर्घटना के समय वह कार का चालक नहीं था।"

    पीठ ने कहा,

    "चूंकि सक्षम न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अथौल्ला खान ने कार को तेज और लापरवाही से चलाया था और शुकरु साब की मौत और उनकी पोती वसीला को चोट पहुंचाने के लिए जिम्मेदार था, ट्रिब्यूनल का यह निष्कर्ष स्वीकार नहीं किया जा सकता कि कार का चालक अथौल्ला खान के अलावा अन्य व्यक्ति था। नतीजतन, इस संबंध में निष्कर्ष को खारिज कर दिया गया है और बीमाकर्ता को शुकरु साब की मृत्यु के लिए मुआवजे के भुगतान के साथ-साथ वसीला को मुआवजे के भुगतान के लिए उत्तरदायी ठहराया गया है।"

    इसके अलावा अदालत ने दिए गए मुआवजे को 4,43,000 रुपये से संशोधित कर 9,48,200 रुपये कर दिया। इसने बीमा कंपनी को दो महीने की अवधि के भीतर मुआवजे की राशि जमा करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: दिलशाद और अथौल्ला खान और अन्य

    केस नंबर: विविध प्रथम अपील संख्या 5640/2018 (एमवी-डी) सी/डब्ल्यू विविध प्रथम अपील संख्य 333/2018(एमवी-डी), विविध प्रथम अपील संख्या 334 (एमवी-I)/2018

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (कर) 173


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