ईपीएफ विभाग के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित होने वाले अधिकारी एक ही मामले में जांच अधिकारी/निर्णायक प्राधिकारी नहीं हो सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

3 Dec 2021 11:30 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट, दिल्ली

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को यह ध्यान रखने का निर्देश दिया कि विभाग के प्रतिनिधि के रूप में पेश होने वाले अधिकारियों को एक ही मामले में जांच अधिकारी या न्यायनिर्णायक प्राधिकारी नहीं बनाया जा सकता।

    न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने निर्देशित किया,

    "भविष्य में ईपीएफओ इस बात को ध्यान में रखेगा कि जो अधिकारी विभाग के प्रतिनिधि के रूप में पेश होते हैं या एक जांच अधिकारी के समक्ष विभाग की ओर से सबमिशन करते हैं, उन्हें उसी मामले के संबंध में जांच अधिकारी या न्यायनिर्णायक प्राधिकारी नहीं बनाया जाता है।"

    न्यायालय ईपीएफओ, द्वारका द्वारा पारित दिनांक 22 अक्टूबर, 2021 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार कर रहा था। इसके माध्यम से क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त II ने याचिकाकर्ता नामतः मेसर्स इंडस टावर्स लिमिटेड द्वारा पसंद किए गए एक अक्टूबर, 2021 के आवेदन को खारिज कर दिया था।

    उक्त आवेदन में हितों के टकराव, न्यायिक औचित्य और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के आधार पर कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 की धारा 7ए के तहत आयुक्त को जांच कार्यवाही से अलग करने की मांग की गई है।

    याचिकाकर्ता के अनुसार, जांच कर रहे आयुक्त पहले विभाग का प्रतिनिधित्व कर रहे है। इसलिए वही व्यक्ति अधिनियम की धारा 7ए के तहत जांच अधिकारी के रूप में कार्य कर रहा था। यह कानून के विपरीत होगा।

    न्यायालय ने आदेश दिया,

    "वर्तमान मामले के तथ्यों में जाने के बिना इस संबंध में संबंधित अधिकारी को किसी भी विवाद या शर्मिंदगी से बचने के लिए यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता के संबंध में अधिनियम की धारा 7 ए के तहत कार्यवाही अवधि के लिए 04/2008 से 04/2015 तक की जांच, जो इस मामले का विषय है, अब उस अधिकारी के अलावा किसी भी अधिकारी द्वारा संचालित किया जाएगा, जिसने 22 अक्टूबर, 2021 को आक्षेपित आदेश पारित किया।"

    कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उक्त आदेश पारित करते समय पूर्वाग्रह के मुद्दे पर विचार नहीं किया गया था।

    तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

    केस शीर्षक: मेसर्स इंडस टावर्स लिमिटेड (पूर्व में भारती इंफ्राटेल लिमिटेड) बनाम क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त - II और अन्य

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