आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत उन मामलों में अपराध लागू नहीं होगा, जिनमें संदिग्ध को यह जानकारी नहीं है कि उसके पास जीवित गोला-बारूद है: दिल्ली उच्च न्यायालय

LiveLaw News Network

4 Jan 2021 11:49 AM GMT

  • आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत उन मामलों में अपराध लागू नहीं होगा, जिनमें संदिग्ध को यह जानकारी नहीं है कि उसके पास जीवित गोला-बारूद है: दिल्ली उच्च न्यायालय

    जस्टिस विभू बाखरू की एकल न्यायाधीश अवकाश पीठ ने दोहराया है कि "आग्नेयास्त्रों को" बिना जानकारी के अपने पास रखने से "आर्म्स एक्ट" लागू नहीं होगा। उन्होंने यह टिप्पणी एक इंजीनियरिंग छात्र की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका की सुनवाई करते हुए की, जिसके बैग में 20 जिंदा कारतूस पाए गए थे।

    छात्र ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और सभी कार्यवाह‌ियों को को रद्द करने की मांग की थी। उसकी दलील थी कि वह केवल अपने मकान मालिक और पारिवारिक मित्र, जो एक कर्नल हैं, से उधार लिया हुआ बैग लिए हुए था, और बैग की आस्तीन में रखी सामग्री की जानकारी नहीं थी।

    संजय दत्त बनाम राज्य सीबीआई के माध्यम से, बॉम्बे (II), अपराध 1994 (3) 344 (एससी) के मामले, और राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त स्थायी वकील की प्रस्तुतियों पर भरोसा करते हुए, जिन्होंने कहा था कि " य‌ाचिकाकर्ता की ओर से पेश स्पष्टीकरण पर संदेह करने के लिए कोई सामग्री नहीं है" अदालत ने छात्र के खिलाफ उक्त प्राथमिकी के तहत सभी कार्यवाही को रद्द करने का आदेश दिया।

    अदालत ने कहा कि, "यह बखूबी तय है कि आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत अपराध उन मामलों में नहीं लागू होगा, जहां संदिग्ध को जानकारी नहीं है कि उसके पास जीवित गोला-बारूद है।"

    मामले के भौतिक तथ्य यह थे कि याचिकाकर्ता-छात्र वायु सेना सामान्य प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ था और साक्षात्कार के लिए पिछले साल अप्रैल में विस्तारा की उड़ान से दिल्ली से अहमदाबाद की यात्रा करने वाला था।

    यात्रा के लिए छात्र ने अपने मकान मालिक कर्नल प्रशांत गुप्ता की पत्नी से हल्के पीले भूरे रंग का एक बैग उधार लिया था।

    छात्र ने बताया था कि उसके परिवार और कर्नल प्रशांत गुप्ता के बीच घनिष्ठता थी और उधार के बैग का उपयोग करते समय, उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि उक्त बैग की आस्तीन में जीवित गोला-बारूद रखा हुआ था। उसने आगे कहा कि श्रीमती गुप्ता को भी इस बारे में जानकारी नहीं थी और इसलिए उसे बैग देने से पहले उन्होंने जीवित गोला-बारूद नहीं हटाया।

    रिकॉर्ड पर कहा गया कि उक्त गोला बारूद कर्नल प्रशांत गुप्ता का था, जिनके पास इस संबंध में वैध हथियार लाइसेंस भी था। मामले में प्रस्तुत स्टेटस रिपोर्ट ने छात्र के बयान का सत्यापन किया, और स्पष्ट किया कि कर्नल प्रशांत गुप्ता के पास वैध हथियार लाइसेंस है। रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया था कि छात्र के पास से बरामद गोला-बारूद प्रशांत गुप्ता का है। जांच के दौरान, जब्त गोला बारूद को बैलिस्टिक परीक्षण के लिए एफएसएल को भेजा गया था और एफएसएल की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी थी।

    विभिन्न तथ्यों और कानून को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने छात्र के पक्ष में फैसला सुनाया। सुरेंद्र कुमार @ सुरेंद्र कुमार सिंह बनाम राज्य (जीएनसीटी ऑफ दिल्ली) और अन्य: WP (Crl) 2143/ 2019, 27.09.2019 को निर्णि‌त; अरुणा चौधरी बनाम राज्य और अन्य: WP(Crl।) 1975/2019, 25.09.2019 को निर्ण‌ित और परमदीप सिंह शरण बनाम राज्य (एनसीटी ऑफ दिल्‍ली) WP(Crl) 152/2019, 29.08.2019) को निर्ण‌ित, मामलों में लिए गए दृष्ट‌िकोण को दोहराया गया।

    केस टाइटल: अधिराज सिंह यादव बनाम राज्य

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