'अपराध सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरनाक': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खुद को हिंदू बताकर दलित महिला से बलात्कार करने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

Avanish Pathak

31 Jan 2023 1:21 PM GMT

  • Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child

    MP High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में हाशिम नामक एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। उस पर खुद को हिंदू बताकर अनुसूचित जाति की एक लड़की से बलात्कार करने का आरोप है।

    जस्टिस अनिल वर्मा की बेंच ने कहा कि इस तरह के अपराध दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और समाज में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरनाक हैं।

    मामला

    अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, पीड़िता घटना के एक साल पहले से आरोपी को जानती थी, हालांकि वह उसके वास्तविक धर्म के बारे में नहीं जानती थी। आरोपी ने खुद को हिंदू बताकर उससे दोस्ती की थी।

    27 अगस्त, 2022 को आरोपी ने उसे एक प्रस्ताव दिया कि वे दिल्ली में जाकर रहें और इस तरह, शादी के झांसे में आकर पीड़िता उसके साथ दिल्ली चली गई, जहां उसने कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया।

    इसके बाद आरोपी पीड़िता को दरगाह ले आया और तभी उसे पता चला कि आवेदक का असली नाम मोहम्मद हाशिम है और वह मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखता है। आरोपी ने पीड़िता पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव भी बनाया।

    वहां से, वह इंदौर लौट आई और आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 376 (2) (के) और एससी / एसटी अधिनियम की धारा 3 (20 (5) के तहत दंडनीय अपराध के तहत एफआईआर दर्ज की।

    उन्हें 2 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया और तब से वह हिरासत में हैं। अब, मामले में जमानत की मांग करते हुए, अभियुक्त ने यह तर्क देते हुए मौजूदा दलील के साथ हाईकोर्ट का रुख किया कि उसे इस अपराध में झूठा फंसाया गया है और मामले की सुनवाई में लंबा समय लगेगा।

    आदेश

    मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों, अपराध की प्रकृति और गंभीरता पर विचार करने के बाद, अदालत ने कहा कि पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा है कि आवेदक ने खुद की असलियत को छुपाकर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया। शादी का झांसा देकर उस पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बनाया।

    इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि अभियुक्त ने जमानत याचिका में यह दलील नहीं दी कि पीड़िता एक सहम‌त पक्ष थी और उसने अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध स्थापित किए।

    इस प्रकार, यह कहते हुए कि इस प्रकार के अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं और समाज में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए भी खतरनाक हैं, अदालत ने आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य पाते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।

    केस टाइटलः हाशिम बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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