[एनडीपीएस अधिनियम] क्या वाणिज्यिक मात्रा की बरामदगी होने पर दोहरी शर्तों को पूरा किये बिना हिरासत अवधि को देखते हुए जमानत दी जा सकती है? पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की बड़ी बेंच तय करेगी

LiveLaw News Network

5 Dec 2022 10:32 AM IST

  • [एनडीपीएस अधिनियम] क्या वाणिज्यिक मात्रा की बरामदगी होने पर दोहरी शर्तों को पूरा किये बिना हिरासत अवधि को देखते हुए जमानत दी जा सकती है? पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की बड़ी बेंच तय करेगी

    जमानत के उन मामलों में जहां वाणिज्यिक मात्रा रखने के लिए आरोपित अभियुक्त लंबी अवधि से हिरासत में हैं, एनडीपीएस एक्ट की धारा 37(1)(बी) की प्रयोज्यता पर समन्वयक पीठों के विरोधाभासी मंतव्यों को ध्यान में रखते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले को एक बड़ी बेंच के गठन के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया है।

    जस्टिस सुधीर मित्तल ने एक आदेश में कहा,

    "यहां ऊपर संदर्भित मतांतर को देखते हुए, एक्ट के तहत वाणिज्यिक मात्रा की वसूली के एक मामले में जमानत देने से पहले एक्ट की धारा 37 (1) (बी) में निर्धारित दो शर्तों की पूर्ति के मुद्दे से निपटने के लिए पहले इस मामले को माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष एक बड़ी बेंच के गठन के लिए रखा जाना चाहिए। ''

    फेनिरामाइन मैलिएट के 11 इंजेक्शन (प्रत्येक 10 मिलीलीटर) और ब्यूप्रेनोर्फिन के 15 इंजेक्शन (प्रत्येक 2 मिलीलीटर) की बरामदगी के आरोप वाले मामले में एक आरोपी की तीसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के सामने यह सवाल उठा।

    यद्यपि आरोपी की पहली जमानत अर्जी अक्टूबर 2020 में इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि वह केवल तीन महीने और 19 दिनों के लिए हिरासत में रहा था और उसके खिलाफ बड़ी संख्या में आपराधिक मामले लंबित थे, दूसरी जमानत अर्जी यह कहकर खारिज कर दी गई थी कि उसने एक्ट की धारा 37 के तहत निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं किया था।

    तीसरी अर्जी में, उसके वकील ने दलील दी कि उसे दो साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था, और एक्ट की धारा 37(1)(बी) के तहत निर्धारित शर्तों के संदर्भ के बिना जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

    उसने 'धीरेन कुमार जैन बनाम भारत सरकार, 2021 एसएलपी (आपराधिक) संख्या 4432', 'नीतीश अधिकारी उर्फ बापन बनाम पश्चिम बंगाल सरकार, एसएलपी (आपराधिक) संख्या 5769-2022' और 'नवीन बनाम हरियाणा सरकार, 2022 (1) आरसीआर (आपराधिक) 553', 'चरणजीत सिंह उर्फ अमृतपाल बनाम पंजाब सरकार, सीआरएम-एम-13795-2022 और अन्य' के मामलों में हाईकोर्ट के फैसलों पर भरोसा जताया।

    हालांकि, अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि वाणिज्यिक मात्रा की बरामदगी के मामलों में, एक्ट की धारा 37(1)(बी) में निर्धारित दोहरी शर्तों का पालन किया जाना चाहिए। इसने भारत सरकार (एनसीबी) आदि बनाम खलील उद्दीन, एसएलपी (आपराधिक) संख्या 5505-5506/2022 और 'सतनाम सिंह बनाम पंजाब सरकार, सीआएएम- एम-में 43795-2020 मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा जताया।

    जस्टिस मित्तल ने कहा कि धारा 37(1)(बी) की प्रयोज्यता पर विरोधाभासी राय वाले फैसलों के दो सेट हैं।

    जहां तक याचिकाकर्ता के खास मामले का संबंध है, कोर्ट ने एक्ट की धारा 37(1)(बी) के तहत निर्धारित शर्तों और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए याचिका खारिज कर दी कि मुकदमा पूरा होने वाला था। बेंच ने ट्रायल कोर्ट को जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "यहां ऊपर यह उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता की दूसरी जमानत याचिका इसलिए खारिज कर दी गई थी, क्योंकि वह यह साबित करने में सक्षम नहीं था कि एक्ट की धारा 37(1)(बी) द्वारा रखी गई दोहरी शर्तें पूरी की गई थीं। एक अलग दृष्टिकोण लेने के लिए रिकॉर्ड पर कोई नया सबूत नहीं लाया जाया जा सका है और इस प्रकार, याचिकाकर्ता द्वारा भरोसा किया गया निर्णय उसकी मदद नहीं कर सकता है। इनमें से कोई भी निर्णय यह नहीं कहता है कि बाद की जमानत अर्जी में एक अलग दृष्टिकोण लिया जा सकता है, भले ही, कोई बदली हुई परिस्थितियां न हों।''

    केस टाइटल: समदर्श कुमार उर्फ जोसेफ बनाम केंद्र शासित प्रशासन चंडीगढ़

    साइटेशन : सीआरएम-एम-21788-2022 (ओ एंड एम)

    कोरम: जस्टिस सुधीर मित्तल

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