'जानकारी नहीं कि अतिक्रमण को रोकने के लिए विशेष कार्य बल का गठन किया गया या नहीं ': मद्रास हाईकोर्ट ने गलती करने वाले राज्य के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी

LiveLaw News Network

3 Jan 2022 7:16 AM GMT

  • मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन की ओर से जारी लॉक एंड सील एंड डिमॉलिशन नोटिस के खिलाफ दायर एक रिट याचिका पर राज्य को याद दिलाया कि अदालत अतिक्रमण को रोकने के लिए एक स्थायी विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के गठन का आदेश पहले दे चुकी है।

    जस्टिस एस वैद्यनाथन और जस्टिस एए नक्‍कीरन की डिवीजन बेंच ने कहा कि 2016 की WP5076, 29 अप्रैल, 2019, में पारित आदेश में पहले ही सार्वजनिक भू‌मि के संरक्षण और रिकवरी के लिए गठित कर्नाटक टास्‍क फोर्स की तरह एसटीएफ के गठन का निर्देश सरकार को दिया गया है।

    अदालत के अनुसार, उक्त एसटीएफ का अध्यक्ष "एक कुशल, समर्पित और ईमानदार अधिकारी होगा, जो अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से नीचे का नहीं होना चाहिए।"

    कोर्ट ने 2019 में भ्रष्ट अधिकारियों को 'भारतीय आतंकवादी' करार दिया था और कहा था कि सरकारी भूमि को अवैध रूप से हड़पे जाने से रोकने के लिए स्थायी विशेष कार्य बल की आवश्यकता है। सरकार को अदालत के आदेश की प्राप्ति से 3 महीने के भीतर एसटीएफ के गठन के लिए आदेश देने का का निर्देश दिया गया था। साथ ही कहा गया था कि एसटीएफ के अध्यक्ष को महीने में एक बार बैठक बुलाकर सदस्यों द्वारा अपने-अपने जिलों में की गई कार्रवाई की समीक्षा करने की आवश्यकता है।

    एसटीएफ अध्यक्ष को सचिवों द्वारा पारित पिछले आदेशों के सत्यापन के लिए रिकॉर्ड मंगाने और भ्रष्ट और गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति दी गई थी। कर्तव्य में लापरवाही पाए जाने पर सेवा से बर्खास्तगी का अधिकार भी दिया गया था।

    यह निर्देश दिया गया था कि एसटीएफ को इस प्रकार गठित किया जाए कि अवैध अतिक्रमण से संबंधित बेदखली की प्रक्रिया को जारी रखने के साथ ही हर महीने प्रगति की रिपोर्ट भी मुख्य सचिव को दी जाए, जिसकी एक प्रति उन्हें हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को टिप्पणियों के साथ अग्रेषित करने का निर्देश दिया गया था।

    एसटीएफ का कार्य तमिलनाडु सर्वेक्षण और सीमा अधिनियम, 1923 की धारा 16 और 21 के अनुसार खाली सरकारी भूमि के संबंध में आवधिक निरीक्षण, क्षेत्र सर्वेक्षण और सीमा चिह्न बनाना भी होता।

    एगमोर में संपत्ति पर जारी लॉक एंड सील एंड डिमॉलिशन नोटिस के खिलाफ याचिकाकर्ता किरायदारों की अपील की पेंडेंसी को स्वीकार करते हुए, अदालत ने नोट किया कि यह तय नहीं है कि क्या एसटीएफ अदालत के निर्देशों के अनुसार गठित की गई थी। इसलिए, अदालत ने उन अधिकारियों को दंडित करने की चेतावनी दी जिन्होंने गलती की थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "... यह जानकारी नहीं है कि उक्त उद्देश्य के लिए इस प्रकार के कार्य बल का गठन किया गया है या नहीं। जानबूझकर अवज्ञा जैसी कोई भी चूक देखी गई तो यह कोर्ट दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़े आदेश पारित करेगा और कारावास प्राथमिक होगा, जुर्माने पर बाद में विचार किया जाएगा।"

    अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि अतिक्रमण का पता लगाने के लिए संबंधित पक्षों की मौजूदगी में ड्रोन सर्वेक्षण किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर से आगे के भवन के निर्माण पर समय-समय पर निरीक्षण किया जाना चाहिए।

    अदालत ने दोहराया कि प्राधिकरण अपील में आदेश पारित करने से बच नहीं सकता और आदेश पारित करने में विफलता का नतीजा WPNo 27499/2018, 16 अक्टूबर 2018 के आदेश के अनुसार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही होगी। उक्त आदेश में अधिकारियों को लंबित अपीलों की संख्या और मद्रास हाईकोर्ट द्वारा निर्देश जारी किए गए मामलों की संख्या का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया गया था।

    अदालत ने कहा कि पी सेल्वराजन बनाम नगर प्रशासन आयुक्त, चेन्नई और अन्य (2018) में मद्रास हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने संबंधित परिसर में अतिक्रमण पाए जाने पर बिजली की आपूर्ति काटने की अनुमति दी है। मौजूदा मामले में अदालत ने प्रतिवादी अधिकारियों को एसप्लस मीडिया प्राइवेट की आवास एवं शहरी विकास विभाग के समक्ष लंबित वैधानिक अपील पर विचार करने और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद तीन महीने के भीतर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई या लिखित प्रस्तुतीकरण दाखिल करने के बीच चयन की अनुमति भी दी गई। प्रतिवादी प्राधिकारी को याचिकाकर्ता को निर्णय की तारीख से तीन सप्ताह की अवधि में अपील पर लिए गए निर्णय के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया गया। इस प्रकार, अदालत ने विविध याचिका का निस्तारण किया।

    केस शीर्षक: मेसर्स एसप्लस मीडिया प्रा लिमिटेड, निदेशक के माध्यम से प्रतिनिधित्व बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य

    केस नंबर: WPNo.21782 of 2021 , WMPNo.22965 of 2021


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