'किसी भी अपराध में आरोपी नहीं, कर्ज के गारंटर के रूप में नहीं दिखाया गया': कर्नाटक हाईकोर्ट ने बिजनेसमैन को सऊदी अरब, यूएई की यात्रा की अनुमति दी

Avanish Pathak

1 April 2023 10:14 PM IST

  • किसी भी अपराध में आरोपी नहीं, कर्ज के गारंटर के रूप में नहीं दिखाया गया: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बिजनेसमैन को सऊदी अरब, यूएई की यात्रा की अनुमति दी

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक व्यवसायी को संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की यात्रा करने की अनुमति दी है। ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने उसके खिलाफ लोन डिफॉल्ट मामले में एक लुक आउट नोटिस जारी किया था।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने हिमायत अली खान की याचिका का निस्तारण किया।

    बैंक ऑफ बड़ौदा ने खान के खिलाफ सात मार्च, 2022 को लुक आउट सर्कुलर जारी किया था, जिसे ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने निष्पादित किया था। उसी के ‌खिलाफ खान ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि वह 35 से अधिक वर्षों से बैंगलोर में लकड़ी के उत्पादों का कारोबार कर रहा है। एसोसिएट डेकोर लिमिटेड नाम की एक कंपनी, कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2007 में पंजीकृत हुई थी।

    कंपनी ने 199 करोड़ रुपये की संपत्ति को गिरवी रखकर बैंक ऑफ बड़ौदा से वित्तीय सहायता प्राप्त की थी। याचिकाकर्ता प्रासंगिक समय में कंपनी के निदेशक थे, हालांकि वह कंपनी को दिए गए ऋण के गारंटर नहीं बने थे।

    याचिका के अनुसार, खान केवल एक गैर-कार्यात्मक निदेशक थे और जबकि कई गारंटरों ने कंपनी को दिए गए ऋण की गारंटी दी थी। जब ऋण अटक गया, तो बैंकों के एक कंजोर्टियम ने याचिकाकर्ता के खिलाफ विभिन्न कार्यवाही शुरू की। कंपनी ने कई बैंकों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद ‌डिफॉल्ट किया था।

    इस प्रकार, ऋण वसूली न्यायाधिकरण, बेंगलुरु (DRT) के समक्ष बैंक ने कंपनी के खिलाफ ‌डिफॉल्ट राशि की वसूली के लिए एक कार्यवाही की थी। याचिकाकर्ता कार्यवाही में पक्षकार नहीं था।

    याचिकाकर्ता व्यावसायिक कार्यों के लिए संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की यात्रा करना चाहता था, लेकिन उस समय बैंक ने इस आधार पर एलओसी जारी किया गया था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ डीआरटी के समक्ष वसूली की कार्यवाही विचाराधीन है और यदि उसे यात्रा की अनुमति दी जाती है तो वह उन कार्यवाही से बच सकता है।

    निष्कर्ष

    पीठ ने कहा कि एलओसी का सहारा आईपीसी या अन्य दंड कानूनों के तहत संज्ञेय अपराधों के असाधारण मामलों में लिया जा सकता है। एलओसी आर्थिक अपराधों के संबंध में भी जारी किया जा सकता है। अदालत ने नोट किया कि एक बार जारी किया गया एलओसी तब तक लागू रहता है, जब तक कि प्रवर्तक उसे डिलीट करने का अनुरोध नहीं करता है।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी अपराध में आरोपी नहीं है और वह निदेशक नहीं है जिसने किसी ऋण की मांग पर हस्ताक्षर किए थे।

    कोर्ट ने कहा,

    "भले ही यह माना जाए कि याचिकाकर्ता कंपनी का निदेशक है, एक नागरिक की यात्रा को बैंक इस आधार पर नहीं रोक सकता कि वह ऋण राशि का भुगतान नहीं कर रहा है। एलओसी जारी करने के गंभीर परिणाम होंगे, जिनमें से पहला यह है कि वह किसी भी न्यायालय की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद देश से बाहर जाने में सक्षम नहीं होगा।”

    अदालत ने कार्ति पी.चिदंबरम बनाम ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले और राणा अय्यूब बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया।

    हालांकि, चूंकि याचिकाकर्ता ने व्यवसाय के उद्देश्य से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की यात्रा की अनुमति मांगी थी, इसलिए पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता को संक्षिप्त अवधि के लिए यात्रा करने और लौट कर आने की अनुमति देना उचित समझा जाता है।"

    केस टाइटल: हिमायत अली खान बनाम गृह मंत्रालय व अन्य

    केस नंबर: रिट याचिका संख्या 24074/2022

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (कर) 132

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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