विज्ञापन के दावे के मुताबिक बाल नहीं उगे : उपभोक्ता अदालत ने ब्रांड एंबेसडर पर झूठे दावे के लिए जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

5 Jan 2021 5:03 AM GMT

  • विज्ञापन के दावे के मुताबिक बाल नहीं उगे : उपभोक्ता अदालत ने ब्रांड एंबेसडर पर झूठे दावे के लिए जुर्माना लगाया

    एक दिलचस्प आदेश में, केरल की एक उपभोक्ता अदालत ने एक फिल्म अभिनेता को प्रभावशीलता का पता लगाए बिना एक हेयर क्रीम उत्पाद का समर्थन करने का झूठा दावा करने के लिए उत्तरदायी ठहराया है।

    डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर रिड्रेसल फोरम, त्रिशूर ने 'धात्री हेयर क्रीम' के निर्माताओं और एक विज्ञापन में उत्पाद का समर्थन करने वाले सेलिब्रिटी फिल्म अभिनेता अनूप मेनन को "झूठा वादा" करने के लिए एक उपभोक्ता को 10,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

    दरअसल फ्रांसिस वडक्कन द्वारा ए-वन मेडिकल, धात्री आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड और अनूप मेनन के खिलाफ दायर उपभोक्ता शिकायत पर यह आदेश पारित किया गया। शिकायतकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट एडी बेनी ने फोरम से कहा कि उन्होंने पहली बार जनवरी 2012 में विज्ञापन देखने के बाद

    376 रुपये में क्रीम खरीदी थी, जिसमें अनूप मेनन ने वादा किया था कि छह सप्ताह के लिए उत्पाद का उपयोग करने से बालों में वृद्धि होगी।

    हालांकि उन्होंने क्रीम का इस्तेमाल किया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने शिकायत की कि उत्पाद खरीदने के लिए उनके दोस्तों और परिवार द्वारा उनका मजाक उड़ाया गया। अपमानित महसूस करते हुए, उन्होंने 5 लाख रुपये मुआवजे के लिए फोरम से संपर्क किया।

    अनूप मेनन ने फोरम में अपने बयान में स्वीकार किया कि उन्होंने कभी भी उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया है और उन्होंने केवल अपनी मां द्वारा तैयार हेयर ऑयल का इस्तेमाल किया है।

    उन्होंने जिरह दौरान बताया,

    "मैंने कभी भी उल्लेखित उत्पाद का उपयोग नहीं किया है। मैं केवल बालों के तेल का उपयोग करता हूं जो मेरी मां मेरे लिए बनाती है।"

    उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि विज्ञापन के दौरान क्या बताया गया क्योंकि यह निर्माताओं की 'कहानी' थी। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि यह उत्पाद बालों की देखभाल के लिए है न कि बालों के विकास के लिए।

    इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ब्रांड एंबेसडर विज्ञापन में उत्पाद का उपयोग किए बिना ही दिखाई दिया, फोरम ने आदेश में उल्लेख किया। अदालत द्वारा यह भी देखा गया कि निर्माता उस उत्पाद में परिणाम नहीं दे सका, जैसा कि उसके द्वारा दावा किया गया था।

    फोरम ने विज्ञापन में अनूप मेनन द्वारा कहे गए बयानों को संदर्भित किया,

    "बालों में वृद्धि की गारंटी है। सिर्फ छह सप्ताह के भीतर, परिणाम तीन गुना हो जाएगा।"

    न्यायालय ने यह भी देखा कि उत्पाद के साथ-साथ विवरणिका में बताई गई सावधानियां इस तरह से छपी हुई हैं कि मैग्नीफाइंग ग्लास की सहायता से देखने पर भी यह दिखाई नहीं देती है।

    अदालत ने कहा,

    "शिकायतकर्ता ने आयुर्वेदिक दवाओं की प्रभावशीलता पर सवाल नहीं उठाया, लेकिन सवाल यह है कि क्या उसे आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से अपेक्षित परिणाम मिला है।"

    विज्ञापनों के खिलाफ आलोचना

    फोरम ने भोले -भाले उपभोक्ताओं को घटिया उत्पादों को खरीदने के लिए लुभाने के लिए आकर्षक विज्ञापनों का उपयोग करने की प्रवृत्ति के खिलाफ तीखी आलोचनात्मक टिप्पणी की।

    फोरम ने कहा,

    "यदि विज्ञापन नहीं होते, तो उत्पादों की कीमतें आधी हो जाएंगी। इस प्रकार, उपभोक्ता उस राशि को बचाने में सक्षम होगा। मूल रूप से, विज्ञापन लोगों में उपभोक्तावादी इच्छा पैदा करने की एक चाल है। लोगों के बेकार उत्पादों खरीदने के लिए तैयार करने की एक चतुर रणनीति।"

    फोरम के पास मीडिया के लिए कुछ शब्द भी थे। यह देखा गया कि मीडिया और समाचार पत्र केवल विज्ञापनों के प्रकाशक बनने के लिए अपने पत्रकारिता के कर्तव्यों को भूल गए हैं।

    फोरम ने कहा,

    "विज्ञापन को एक सूचित उपभोक्ता संस्कृति के विकास में मदद करनी चाहिए ताकि उपभोक्ता फर्जी उत्पादों को अस्वीकार करके सही विकल्प बना सके।"

    सभी साक्ष्यों को देखते हुए, डिस्ट्रिक्ट फोरम के अध्यक्ष सी टी साबू और सदस्यों डॉ के राधाकृष्णन नायर और श्रीजा एस ने अनूप मेनन को उत्पाद की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के बाद ही भविष्य के विज्ञापन में शामिल होने का निर्देश दिया। इसने अभिनेता और कंपनी, प्रत्येक को 10000 रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। अदालत ने ए वन मेडिकल, मेडिकल स्टोर, जहां से उत्पाद खरीदा गया था, को 3,000 रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया।

    हालांकि शिकायत को पिछले साल सितंबर में अनुमति दी गई थी, लेकिन कारणों और निष्कर्षों के साथ विस्तृत निर्णय पिछले सप्ताह केवल 29 दिसंबर, 2020 को जारी किया गया है।

    हालांकि शिकायत तब दर्ज की गई थी जब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में सेलिब्रिटी एंडोर्सर्स पर देयता तय करने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था, लेकिन इसके बावजूद अदालत ब्रांड एंबेसडर को उत्तरदायी ठहराने से नहीं रुकी।

    हाल ही में पारित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019, जो पूरी तरह से 1986 अधिनियम की जगह लेता है, में सेलिब्रिटी एंडोर्सर्स पर देयता तय करने के लिए विशिष्ट और स्पष्ट प्रावधान हैं।

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