गणेश विसर्जन के लिए सार्वजनिक पार्क में निजी तौर पर विसर्जन तालाब बनाना कोई मौलिक अधिकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

12 Sep 2023 5:40 AM GMT

  • गणेश विसर्जन के लिए सार्वजनिक पार्क में निजी तौर पर विसर्जन तालाब बनाना कोई मौलिक अधिकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गणेश चतुर्थी उत्सव से पहले घाटकोपर में नगरपालिका उद्यान में निजी कृत्रिम तालाब बनाकर उसमें गणपति विसर्जन का आयोजन करने की मांग करने वाली पूर्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नगरसेवक द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी।

    जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस कमल खाता की खंडपीठ ने कहा,

    “किसी भी व्यक्ति या अकेले मंडल के पास नगर निगम द्वारा बनाए गए सार्वजनिक पार्क में निजी तौर पर विसर्जन तालाब बनाने का कोई मौलिक, या कोई अन्य, अधिकार नहीं है। इसके लिए अनुमति आवश्यक है। अनुमति देना या न देना नगर निगम के विवेक पर निर्भर है। यह तथ्य विवादित न होने के साथ-साथ एकदम निर्विवाद भी है।”

    अदालत ने कहा,

    "निजी धार्मिक भावनाएं, चाहे वे किसी की भी हों, नागरिक शासन की व्यापक चिंताओं पर हावी नहीं हो सकतीं।"

    घाटकोपर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की पूर्व पार्षद राखी जाधव के नेतृत्व वाले संगठन श्री दुर्गा परमेश्वरी सेवा मंडल ने आचार्य अत्रे मैदान में विसर्जन के आयोजन के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने निगम द्वारा उन्हें अनुमति देने से इनकार करते हुए जारी पत्र को चुनौती दी।

    उन्होंने अनुमति न देने का आरोप बालचंद्र शिरसाट पर लगाया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मंत्री मगल प्रभात लोढ़ा को अनुमति देने के खिलाफ पत्र लिखा था और पत्र पर कार्रवाई की गई।

    शुरुआत में बीएमसी के 'एन' वार्ड ने वकील पूर्णिमा कंथारिया के माध्यम से स्पष्ट किया कि घाटकोपर (पूर्व) में आचार्य अत्रे मैदान में विसर्जन तालाब का प्रावधान और आगामी गणपति विसर्जन के लिए नगर निगम द्वारा ही उपलब्ध कराया जाएगा। इसलिए याचिकाकर्ता को इनकार कर दिया गया।

    अदालत ने बयान को उचित पाया और कहा कि ये सभी नागरिक और नगर निगम प्रशासन के मामले हैं। इन्हें निजी पक्षकारों पर बिल्कुल भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

    कोर्ट ने मंत्री को पक्षकार बनाए बिना उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को भी खारिज कर दिया।

    आदेश में कहा गया,

    “भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हम प्रशासनिक कार्रवाई की न्यायिक पुनर्विचार से चिंतित हैं। इसलिए यह दिखाया जाना चाहिए कि विवादित नगरपालिका कार्रवाई किसी प्रक्रियात्मक अनियमितता के कारण या मनमाने, अनुचित या कुछ मौलिक या अन्य कानूनी अधिकारों के उल्लंघन के कारण असुरक्षित है।”

    भले ही नगर निगम यह कहे कि किसी विशेष क्षेत्र में नागरिक प्रशासन (सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, आदि) के कारणों से किसी भी विसर्जन तालाब की अनुमति नहीं दी जा सकती है, अदालत ने कहा कि वह हस्तक्षेप नहीं कर पाएगी।

    वकील - याचिकाकर्ता के लिए वकील अनिरुद्ध जोशी और प्रतिवादी-बीएमसी के लिए कुणाल वाघमारे के साथ जीपी पूर्णिमा कंथारिया

    बालचंद्र शिरसाट की ओर से वकील अमोघ सिंह, राहुल अरोड़ा और जीत गांधी

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