मुद्रित नोटों पर केवल महात्मा गांधी की तस्वीर छापने के निर्णय में कोई गलती नहीं: मद्रास हाईकोर्ट ने नेताजी की तस्वीर वाले नोट छापने की याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

2 Sep 2021 11:40 AM GMT

  • मुद्रित नोटों पर केवल महात्मा गांधी की तस्वीर छापने के निर्णय में कोई गलती नहीं: मद्रास हाईकोर्ट ने नेताजी की तस्वीर वाले नोट छापने की याचिका खारिज की

    मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई के मुद्रित नोटों में केवल महात्मा गांधी की तस्वीर छापने के फैसले में कोई गलती नहीं पाते हुए हाल ही में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर को करेंसी नोटों पर छापने को केंद्र की अस्वीकृति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

    हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मुद्रित नोटों पर केवल महात्मा की तस्वीर छापने और किसी अन्य व्यक्ति की तस्वीर न छापने में कोई गलती नहीं है।

    न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरण और न्यायमूर्ति एम. दुरईस्वामी की खंडपीठ ने इस प्रकार कहा,

    "यह अदालत इस देश की स्वतंत्रता के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस और अन्य महान नेताओं द्वारा की गई लड़ाई और बलिदान को कम करके नहीं आंक रही है। कई जाने-माने नायक और गुमनाम नायक हैं। अगर हर कोई ऐसा दावा करना शुरू कर देता है तो इसका कोई अंत नहीं होगा।"

    याचिकाकर्ता ने दावा किया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक महान नेता हैं। उन्होंने हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी।

    इसलिए याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि यदि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर मुद्रित नोट में छपी जानी चाहिए, जो उस महान नेता को एक श्रद्धांजलि होगी।

    इन पंक्तियों के साथ याचिकाकर्ता ने पहले हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे न्यायालय ने 4 फरवरी, 2021 को निपटाया था।

    इस याचिका में में प्रतिवादी अधिकारियों को उनके दावे पर विचार करने का निर्देश दिया गया था।

    केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार, समिति ने महात्मा गांधी की मौजूदा तस्वीर को बदलने और अन्य महान व्यक्तित्वों को बैंक नोटों के नए डिजाइन में शामिल करने के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया।

    हालांकि, समिति ने फैसला किया कि महात्मा गांधी की तुलना में कोई अन्य व्यक्तित्व भारत के लोकाचार का बेहतर प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। इसलिए, उसने महात्मा के चित्र को अग्रभाग और वॉटरमार्क पर बनाए रखने का निर्णय लिया।

    अब, केंद्र सरकार द्वारा उनके प्रतिनिधित्व को अस्वीकार करने के बाद उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कार्यों और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के बारे में विस्तार से बताते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।

    अंत में याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि यदि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर मुद्रा नोट में छपी है तो यह इस महान नेता को श्रद्धांजलि होगी।

    इस संदर्भ में कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में केवल सरकार ही निर्णय ले सकती है। अदालत समिति की रिपोर्ट में बताए गए विचारों को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है।

    कोर्ट ने कहा,

    "अगर हर कोई इस तरह का दावा करना शुरू कर देता है तो इसका कोई अंत नहीं होगा। इसके अलावा, हाल के दिनों में धर्म, समुदाय और क्षेत्र के आधार पर दावे और प्रतिवाद हैं। अगर हर दावे पर विचार करना शुरू कर दिया जाता है, तो कोई अंत नहीं होगा।"

    अंत में केंद्र सरकार के निर्णय में कोई दोष नहीं पाते हुए याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा:

    "केंद्र सरकार के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले ही एक समिति का गठन किया और यह निर्णय लिया कि केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ही भारत के लोकाचार का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। इसलिए, मुद्रित नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर को बनाए रखने का निर्णय लिया गया। किसी अन्य व्यक्तित्व की तस्वीर को छापने का निर्णय नहीं लिया गया।"

    केस टाइटल- के.के. रमेश बनाम भारत संघ और अन्य।

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