"कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता है": राजस्थान हाईकोर्ट ने ऑनर किलिंग मामले में दो आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया, आगे की जांच का आदेश दिया
Avanish Pathak
13 Jun 2022 4:49 PM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 'ऑनर किलिंग' जैसे मामले में लड़की के भाई समेत दो आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया।
मामले में मृतक-आजाद और आरोपी याचिकाकर्ता-भीम सैनी की बहन के बीच संबंध थे। चूंकि लड़की के परिवार वाले इससे खुश नहीं थे, इसलिए दोनों भाग गए। बाद में पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और लड़की को याचिकाकर्ता पक्ष के साथ जाने के लिए कहा गया।
मृतक ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की जिसके बाद, पक्षों ने समझौते के माध्यम से मामले को सुलझाने का प्रयास किया और तदनुसार, मृतक ने याचिका वापस ले ली। उसी समय के आसपास लड़का लापता हो गया और चार दिनों के बाद उसका शव तालाब में मिला।
जांच करने पर पता चला कि मौत गला घोंटने से दम घुटने से हुई है, न कि डूबने से। इसके अलावा, मृतक ने अपने इंस्टाग्राम चैट को विशेष रूप से यह कहते हुए अपलोड किया था कि "भाई मुझे जान से मरना चाहता है भीम सैनी। शादी करली है उसकी लड़की से।" उसने एक दिनेश कुमावत से भी जान से मारने की धमकी के बारे में बातचीत की।
जस्टिस फरजंद अली ने दोनों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा,
"यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि इस देश का प्रत्येक नागरिक कानून द्वारा शासित है....किसी भी नागरिक को कानून को अपने हाथों में लेने की अनुमति नहीं है।"
अदालत ने कहा कि घटनाओं की श्रृंखला बखूबी डिजाइन साजिश और प्रत्येक आरोपी की मिलीभगत को दर्शाती है, जो रिकॉर्ड में उपलब्ध है।
अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। अदालत ने कहा कि लड़की जिया, दिनेश और जिस वकील के सामने समझौता वार्ता की गई थी, उसके बयान दर्ज नहीं किए जाने की स्थिति गंभीर शंकाओं और चिंताओं को उठाती है। अदालत ने कहा कि इस स्तर पर गवाह को प्रभावित करने और उसे बाधित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र को लागू करते हुए पुलिस अधीक्षक, बूंदी को एक सक्षम अधिकारी नियुक्त कर सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत मामले में आगे की जांच करने का निर्देश दिया। और इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 60 दिनों के भीतर मामले में अन्य सभी बचे हुए प्रासंगिक सबूतों को लेकर ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक पूरक आरोप पत्र दायर करने के लिए कहा।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 8 के अवलोकन के बाद, अदालत ने देखा कि मकसद अपने आप में एक प्रासंगिक तथ्य है, दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि यह एक गुरुत्वाकर्षण बल की तरह है जो किसी व्यक्ति की चेतना को खींचता है बल्कि उसे करने के लिए प्रेरित करता है।
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में, आरोपी याचिकाकर्ता मृतक के साथ अपनी बहन जिया के संबंधों के तथ्य को पचा नहीं पाया। इसके बाद कुछ घटनाओं ने आग में ईंधन डाला, जिसने इस तथ्य यानी आजाद की हत्या को अंकुरित किया।
केस टाइटल: भीम सैनी @ भीमराज सैनी बनाम राजस्थान राज्य अन्य संबंधित मामले के साथ
साइटेशन: 2022 Livelaw (राज) 184