सजा की अपर्याप्तता के आधार पर सीआरपीसी के तहत 'पीड़ित' कोई अपील नहीं दायर कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Avanish Pathak

14 July 2022 7:11 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया है कि सजा की अपर्याप्तता के आधार पर सीआरपीसी की धारा 372 के तहत पीड़ित की ओर से दायर कोई अपील बरकरार नहीं रखी जा सकती है। इसलिए, अपराध के 'पीड़ित' [जैसा कि सीआरपीसी की धारा 2 डब्ल्यू (डब्ल्यूए) के तहत परिभाषित है] की ओर से सजा की अपर्याप्तता के खिलाफ की गई अपील सुनवाई योग्य नहीं है।

    जस्टिस मो फैज आलम खान ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि धारा 372 सीआरपीसी के तहत अपील [जब तक अन्यथा प्रावधान नहीं है, दायर नहीं की जा सकती] केवल तीन स्थितियों में ही दायर की जा सकती है-

    (i) जब आरोपी व्यक्ति (व्यक्तियों) को बरी कर दिया गया हो;

    (ii) जब आरोपी व्यक्ति (व्यक्तियों) को कम अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो;

    (iii) जहां न्यायालय द्वारा अपर्याप्त मुआवजा दिया गया है।

    मामला

    अदालत 'पीड़ित' की ओर से सीआरपीसी की धारा 372 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट, अंबेडकर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी। निर्णय और आदेश के तहत निचली अदालत ने निजी प्रतिवादियों को धारा 323, 498-ए, 506 आईपीसी और धारा 3/4 डीपी एक्ट के तहत दोषी ठहराया था।

    अपील इसलिए पेश की गई कि आरोपी व्यक्तियों/निजी प्रतिवादियों को अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 का लाभ दिया गया था और परिवीक्षा पर रिहा कर दिया गया था, और इसलिए, 'पीड़ित' (वर्तमान आवेदक) ने सजा की अपर्याप्तता के आधार पर मौजूदा अपील दायर की।

    उल्‍लेखनीय है कि मौजूदा अपील ने अपीलीय न्यायालय यानी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट-द्वितीय), अंबेडकर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसके द्वारा सजा के खिलाफ राज्य द्वारा की गई अपील को भी खारिज कर दिया गया था।

    निष्कर्ष

    शुरुआत में, अदालत ने स्पष्ट किया कि सीआरपीसी में प्रदान की गई योजना के अनुसार या उस समय लागू किसी अन्य कानून द्वारा प्रदान योजना के तहत ही अपील की जा सकती है

    धारा 372 सीआरपीसी का जिक्र करते हुए, बेंच ने कहा कि यह प्रावधान कहता है कि पीड़ित किसी भी फैसले या आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है, जो अदालत द्वारा आरोपी को बरी करने या कम अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने या अपर्याप्त मुआवजे को लागू करने के लिए अदालत द्वारा पारित किया जाता है। सजा की अपर्याप्तता के आधार पर कोई अपील नहीं की जा सकती।

    इसके अलावा, न्यायालय ने जोर देकर कहा कि प्रश्न में कानून का मुद्दा - क्या अपराध का शिकार आरोपी व्यक्तियों को दी गई सजा की अपर्याप्तता के खिलाफ धारा 372 सीआरपीसी के तहत अपील कर सकता है - राष्ट्रीय महिला आयोग बनाम दिल्ली राज्य, (2010) 12 एससीसी 599 और परविंदर कंसल बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली), (2020) 19 एससीसी 496 मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया गया है।

    इन दोनों मामलों में कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने (सीआरपीसी की धारा 372 के आलोक में) माना कि सजा की अपर्याप्तता के आधार पर सीआरपीसी की धारा 372 के तहत पीड़ित द्वारा कोई अपील नहीं दायर की जा सकती है।

    इसके साथ, अपराध के पीड़ित द्वारा सजा की अपर्याप्तता के खिलाफ की गई अपील को सुनवाई योग्य नहीं माना गया और इस तरह खारिज कर दिया गया।

    केस टाइटल - शिरीन बनाम स्टेट ऑफ यूपी और अन्य [Appication U/S 378 No.-142 of 2017]

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 319


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