NGT ने 'सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट' के नियमों का पालन न करने पर केरल सरकार को फटकार लगाई
LiveLaw News Network
31 Jan 2021 3:00 AM GMT
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रिंसिपल बेंच ने केरल सरकार के प्रशासन की विफलता और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स (एसडब्ल्यूएम) , 2016 का पालन न करने के लिए फटकार लगाई। दरअसल, केरल के कोच्चि के बाहरी इलाके में स्थित सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट की वजह से भारामपुरम में प्रदूषण फैल रहा है।
केरल कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति ए.वी. रामकृष्ण पिल्लई द्वारा एक रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद पता चला कि मामला पिछले दो वर्षों से एनजीटी के समक्ष लंबित है। जस्टिस रामकृष्ण ने दिनांक 23.02.2019 को कचरे के अवैज्ञानिक डंपिंग के मुद्दे पर प्रकाश डाला।
एनजीटी ने 03.07.2020 के आदेश रद्द किया ने केरल सरकार के मुख्य सचिव को मामले को गंभीरता से लेने और सचिव, शहरी विकास विभाग, अध्यक्ष, राज्य पीसीबी और संबंधित नगर आयुक्त के तीन सदस्यीय दल का गठन करके उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। दिन ब दिन बढ़ते हुए प्रदूषण को संभालने के लिए विरासत अपशिष्ट स्थल और अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र लगाने का भी निर्देस दिया।
हालाकि, पिछले सप्ताह सुनवाई में ट्रिब्यूनल ने देखा कि पिछले दो वर्षों में कई अवसरों पर NGT द्वारा दिए गए आदेशों और निर्देशों के बावजूद, राज्य सरकार ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 (SWM नियम) का पालन करने में बुरी तरह विफल रही थी। इसके साथ ही ठोस कचरे के प्रबंधन में भी विफल रही थी।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि,
"सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पर्यावरणीय कानून को लागू करने के लिए आवश्यक सुशासन के लिए प्रशासन की सभी दौर की असफलता की लंबी कहानियां खराब विकल्प हैं। तथ्य यह है कि प्रशासन वर्तमान में नागरिकों को स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार की रक्षा करने में विफल है जो किसी भी तरह से अपराध मुक्त वातावरण में जीने के अधिकार से कम महत्वपूर्ण नहीं है।"
शुरुआत में, ट्रिब्यूनल ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर भी ध्यान दिया, जिसमें यह पाया गया कि नमूनों ने प्रतिबिंबित किया कि पर्यावरणीय पैरामीटर राज्य के अधिकारियों द्वारा नहीं मिल रहे थे।
इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, NGT ने आगे की सुनवाई के लिए दक्षिणी बेंच को कार्यवाही स्थानांतरित करने का आदेश दिया। हालांकि, ट्रिब्यूनल यह देखने के लिए आगे बढ़ा कि राज्य के शहरी विकास सचिव से कम से कम अपेक्षित उपाय विरासत अपशिष्ट जैव खनन, वृक्षारोपण के क्षेत्र का परिदृश्य, जैव विविधता पार्क का विकास, खाद संयंत्र के सुधार के लिए आदेश देना है। इसका साथ ही अधिकारियों द्वारा इस पर निरंतर निगरानी रखनी होगी।
आदेश में कहा गया है कि,
"नगर निगम अभी भी अनधिकृत संचालन जारी रखे हुए है। जैव-खनन के लिए काम शुरू करना बाकी है। मुआवजे का आकलन किया गया है, लेकिन वसूल नहीं किया गया है। विंड्रो कंपोस्टिंग प्लांट जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। यह आश्चर्य की बात है कि क्या अधिकारी नागरिकों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए उनका संवैधानिक दायित्व निभा पाएंगे, जिनमें क्षमता की कमी है या इच्छाशक्ति की कमी है। कानून के पर्यावरण नियम को बनाए रखने में विफल कानून और व्यवस्था बनाए रखने और अपराधों के खिलाफ नागरिकों की रक्षा करने से अलग नहीं है। पर्यावरण मानदंडों का निरंतर उल्लंघन न केवल नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान के लिए भी संभावित है।"
केस : केरल से प्राप्त राज्य स्तरीय निगरानी समिति की रिपोर्ट, इस न्यायाधिकरण के आदेश द्वारा गठित दिनांक 16.01.2019 को O.A. 606/2018, केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.वी.आर. पिल्लई द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट विषय पर निर्देशों के अनुपालन की निगरानी करने के लिए।
आदेश दिनांक: 21.01.202