एनजीटी ने ओडिशा सरकार को दो महीने के भीतर एलीफेंट कॉरीडोर के संबंध में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
20 Aug 2021 11:32 AM IST
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, ईस्ट ज़ोन बेंच, कोलकाता ने ओडिशा राज्य सरकार को एशियन नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन (एएनसीएफ) द्वारा पहचाने गए एलीफेंट कॉरीडोर के संदर्भ में एक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
ट्रिब्यूनल ने अपने निर्देश में एलीफेंट कॉरीडोर के कार्यान्वयन के लिए समय-रेखा पर कार्य योजना को सूचित करने को कहा।
यह कार्य योजना दो महीने की अवधि के भीतर एएनसीएफ द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार लागू होनी।
न्यायमूर्ति बी. अमित स्टालेकर और विशेषज्ञ सदस्य सैबल दासगुप्ता ने यह निर्देश वाइल्डलाइफ सोसाइटी ऑफ उड़ीसा (एलीफेंट कॉरीडोर) द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
आवेदक ने सचिव, वन और पर्यावरण विभाग, ओडिशा सरकार को केंद्र सरकार को 14 एलीफेंट कॉरीडोर की घोषणा और अधिसूचना के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को एक और निर्देश देने का निर्देश दिए जाने की मांग गई थी।
इसके साथ ही तत्काल कार्रवाई और और उसके बाद 14 एलीफेंट कॉरीडोर को अधिसूचित करने वाली एक अंतिम अधिसूचना जारी करने के लिए निर्देश दिए जाने की भी मांग की गई थी।
वाइल्डलाइफ सोसाइटी ने प्रस्तुत किया कि भारत सरकार द्वारा चारे की तलाश और प्रजातियों के प्रसार के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करने के लिए हाथियों की अजीब प्रकृति को पहचानने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया। ऐसे प्रवासी हाथी पथ, पार्सल पारिस्थितिकी का हिस्सा हैं।
इस टास्क फोर्स का गठन हाथियों के दीर्घकालिक अस्तित्व और संरक्षण के लिए स्थिति निर्धारित करने और उपायों की सिफारिश करने के लिए किया गया था।
तब टास्क फोर्स ने "गजाह" शीर्षक से एक रिपोर्ट तैयार की, जिसे कई सिफारिशों के साथ अगस्त, 2010 में जारी किया गया था।
आवेदक ने कहा,
"हाथी पारिस्थितिकी का एक हिस्सा होने के नाते एलीफेंट कॉरीडोर को निर्धारित करने की आवश्यकता है। इसीलिए, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा तीन के तहत पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है।"
एनजीटी को आगे बताया गया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव)-सह-मुख्य वन्यजीव वार्डन, ओड़िशा ने राज्य में एलीफेंट कॉरीडोर का विवरण प्रस्तुत किया था। इसमें 14 कॉरोडीर की पहचान की गई थी, जिनका कुल क्षेत्रफल 870.61 वर्ग किलोमीटर, 420.8 किमी की लंबाई और 0.08 किमी से 4.6 किमी की चौड़ाई है।
बेंच को आगे सूचित किया गया कि इसके बाद, 25.08.2011 को राज्य सरकार को "ओड़िशा में वन आवासों में एलीफेंट कॉरीडोर के प्रबंधन के लिए योजना" प्रस्तुत की गई।
आवेदक का मामला यह था कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन, ओड़िशा ने 14 पारंपरिक एलीफेंट कॉरीडोर को अधिसूचित करने के लिए वन और पर्यावरण विभाग, उड़ीसा सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ओड़िशा राज्य और अन्य उत्तरदाताओं ने 2017 में एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत किया थ। इसमें कहा गया था कि एएनसीएफ के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसे मूल्यांकन के काम के साथ-साथ ओड़िशा राज्य में प्रमुख और छोटे एलीफेंट कॉरीडोर की पहचान करने और आवास की व्यवहार्यता आदि के लिए जनादेश दिया गया था। इसके साथ ही एलीफेंट कॉरीडोर को अधिसूचित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई जो कि फाउंडेशन की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही की जा सकती है।
इसके अलावा, एशियन नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए समय-रेखा के संदर्भ में संबंधित राज्य विभाग की ओर से 10 अगस्त, 2021 को एक कार्य योजना दायर की गई थी।
एएनसीएफ द्वारा पहचाने गए एलीफेंट कॉरीडोर के अलावा, कुछ अन्य हाथी एलीफेंट कॉरीडोर को भी वन विभाग द्वारा प्राथमिकता वाले कॉरीडोर के रूप में पहचाना गया था।
पीठ ने अपने समक्ष प्रस्तुत कार्य योजना के प्रासंगिक अंशों पर भरोसा करते हुए राज्य सरकार को उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए आवेदन का निस्तारण किया।
केस टाइटल: वाइल्डलाइफ सोसाइटी ऑफ ओड़िशा बनाम स्टेट ऑफ ओडिशा एंड अदर।
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