NGT ने NHAI को 'ग्रीन हाईवे पॉलिसी, 2015' के उल्लंघन के लिए 2 करोड़ का मुआवजा देने का निर्देश दिया
Shahadat
13 March 2023 1:17 PM IST
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की जस्टिस आदर्श कुमार गोयल (चेयरपर्सन), जस्टिस सुधीर अग्रवाल (न्यायिक सदस्य), जस्टिस अरुण कुमार त्यागी (न्यायिक सदस्य), डॉ. ए. सेंथिल वेल, (विशेषज्ञ सदस्य) प्रिंसिपल बेंच, नई दिल्ली की खंडपीठ ने निर्देश दिया भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) पर्यावरण संबंधी दायित्वों का पालन न करने और वृक्षारोपण, परिवहन के लिए 'ग्रीन हाईवे, पॉलिसी, 2015' टाइटल वाले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए पीसीसीएफ, हरियाणा को 2 करोड़ का मुआवजा दे।
NHAI के खिलाफ मुकरबा चौक से सिंघू बॉर्डर, दिल्ली तक 8-लेन हाईवे नंबर 44 के निर्माण के दौरान पर्यावरणीय दायित्व का पालन न करने से व्यथित होने पर आवेदन दायर किया गया है।
आवेदक पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि निकटवर्ती ग्राम खामपुर में जल छिड़काव के अभाव में काफी धूल उठती है। अन्य हॉटस्पॉट हैं- पल्ला-मोड़, सिंघोला मोड़, वैश्वान ढाबा से ग्राम खामपुर। आगे यह प्रस्तुत किया गया कि जनवरी 2021 में 161 पेड़ काटे गए। हालांकि 1760 पेड़ों को लगाए जाने का दावा किया गया था, वही खामपुर गांव से 26 किमी दूर यमुना बैंक के पास गढ़ी मांडू में हैं, जो किसी भी तरह से धूल को कम नहीं करता है। परियोजना के कारण वहां धूल उठती है, जहां पेड़ काटे गए हैं।
इस प्रकार कटे हुए पेड़ों की पर्यावरणीय सेवाओं को प्रतिस्थापित नहीं करते। यह भी तर्क दिया गया कि हरित राजमार्ग (वृक्षारोपण, प्रत्यारोपण, सौंदर्यीकरण और रखरखाव) नीति, 2015 का अनुपालन नहीं किया गया। सचिव, पर्यावरण एवं वन, दिल्ली ने 1952 पेड़ों को काटने के एवज में 11,12,64,000 / - रूपये के मुआवजे के भुगतान का आदेश जारी किया। लेकिन NHAI उक्त मुआवजा राशि जमा करने में विफल रहा।
21.11.2022 को ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी और निदेशक, पर्यावरण विभाग, दिल्ली से मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी। तदनुसार, संयुक्त समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिस पर NHAI कोई प्रतिक्रिया दर्ज करने में विफल रहा। रिपोर्ट में यह पाया गया कि NHAI विभिन्न स्थलों पर धूल कम करने के उपाय करने में विफल रहा और समिति ने सिफारिश की कि NHAI को वन मंजूरी में निर्धारित शर्तों का पालन करना चाहिए।
ट्रिब्यूनल ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि NHAI रिपोर्ट का खंडन करने में विफल रहा है।
ट्रिब्यूनल ने कहा,
'हमें रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्यात्मक टिप्पणियों और सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का कोई कारण नहीं दिखता। NHAI निर्माण और संचालन चरणों के दौरान धूल के शमन के लिए उपचारात्मक उपाय करने के लिए बाध्य है, जिसमें परिवहन और भंडारण के दौरान निर्माण सामग्री को ढंकना, नियमित अंतराल पर छिड़काव, वृक्षारोपण, आरओडब्ल्यू से अतिक्रमण हटाना और क्षेत्र में हवा के प्रमुख मापदंडों की वायु गुणवत्ता की निगरानी शामिल है।”
ट्रिब्यूनल ने माना कि रिपोर्ट में वृक्षारोपण, परिवहन, सौंदर्यीकरण और रखरखाव के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के दिशानिर्देशों 'ग्रीन हाईवे, पॉलिसी, 2015' का बड़े पैमाने पर उल्लंघन दिखाया गया। उपचारात्मक उपायों के अलावा, NHAI को प्रदूषक भुगतान सिद्धांत के उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, भले ही उल्लंघन उसके अधिकारियों या ठेकेदारों द्वारा किया गया हो।
ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया कि उपचारात्मक कार्रवाई तेजी से की जाए और पिछले उल्लंघनों के लिए NHAI मुआवजा दे। मुआवजा के रूप में एक महीने के भीतर पीसीसीएफ (एचओएफएफ), हरियाणा के पास 2 करोड़ रुपये जमा किए जाएं। मुआवजा की यह राशि किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा मुआवजे लगाने से अतिरिक्त होगा। एक महीने के भीतर सीपीसीबी और निदेशक, पर्यावरण, दिल्ली की संयुक्त समिति के अनुमोदन से एक कार्य योजना तैयार करके एनएचएआई द्वारा किए जाने वाले उपचारात्मक उपायों के अलावा उपयुक्त वृक्षारोपण द्वारा क्षेत्र में बहाली के उपायों के लिए इसका उपयोग किया जाना चाहिए।
केस टाइटल: प्रेम प्रकाश प्रजापति बनाम परियोजना निदेशक, पीआईयू सोनीपत व अन्य।
मूल आवेदन नंबर 838/2022
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