New Income Tax Bill, 2025 में टैक्स अधिकारीयों को सोशल मीडिया पासवर्ड प्राप्त करने का अधिकार
Praveen Mishra
6 March 2025 7:15 AM

हाल ही में संसद में नया आयकर अधिनियम पेश किया गया जिसमें कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो करदाताओं को परेशान कर सकती हैं। जबकि सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना है, लेकिन इस विधेयक में एक ऐसा प्रावधान है जो कर अधिकारियों को बड़ा अधिकार देता है जो तर्कसंगत नही माना जा रहा है। यह प्रावधान उन्हें कर जांच के दौरान ईमेल, ट्रेडिंग अकाउंट, सोशल मीडिया प्रोफाइल और अन्य व्यक्तिगत डेटा की जांच करने की अनुमति देता है।
यह नया कानून छह दशक पुराने कर कानून (Income Tax Act, 1961) के ढांचे में एक बड़े बदलाव के रूप में बताया जा रहा। हालंकि, कानून बनने से पहले, एक चयन समिति इसकी समीक्षा करेगी। सबसे बड़ा चिंता का विषय एक प्रावधान है जो कर जांच के दायरे को वर्तमान सीमा से आगे बढ़ाकर "वर्चुअल डिजिटल स्पेस" को शामिल करने की अनुमति देता है।
अभी तक पुराने कानून के अनुसार, कर अधिकारी को लैपटॉप, हार्ड ड्राइव और ईमेल तक पहुंच की मांग करने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड की मांग करने का कोई अधिकार नही है। लेकिन, वित्त मंत्री निर्मला सितारामन द्वारा पेश किए गए इस नये विधेयक में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि कर अधिकारी डिजिटल स्पेस तक पहुंचने की मांग कर सकते हैं, और यदि करदाता इनकार करता है, तो उन्हे पासवर्ड को बायपास करने का अधिकार होगा इसके साथ ही सुरक्षा सेटिंग्स को ओवरराइड कर सकते हैं और फाइलों को अनलॉक भी करने का अधिकार प्राप्त होगा।
इस नए आयकर विधेयक की धारा 247 के अनुसार, आयकर अधिकारियों को 1 अप्रैल 2026 से कुछ विशेष मामलों में आपके ईमेल, सोशल मीडिया, बैंक विवरण और निवेश खातों तक पहुंचने का अधिकार होगा, यदि उन्हें कर चोरी या बिना घोषित संपत्तियों पर कर न चुकाने का संदेह होता है।
हालाकि, कानून के जानकार इसे 'निजता के अधिकार' का उल्लंघन भी मान रहे (Right to Privacy), जिसे संविधान के अनुच्छेद 21 में हर नागरिक को मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त है।