NEET-UG : सुप्रीम कोर्ट ने प्रश्न पत्र के हिंदी अनुवाद में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

30 Nov 2021 10:43 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 22 NEET-UG उम्मीदवारों की एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने NEET-UG 2021 में फिजिक्स के एक प्रश्न के हिंदी अनुवाद में कथित त्रुटि के कारण अपने स्कोर की पुनर्गणना की मांग की थी।

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने अनुवाद की जांच के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा ग‌ठित तीन स्वतंत्र विशेषज्ञों का पैनल की राय के बाद याचिका को खारिज कर दिया। पैनल ने प्रश्न के अंग्रेजी और हिंदी संस्‍करणों को ‌एक ही बताया था।

    NEET उम्मीदवारों ने सेक्‍शन ए (फिजिक्स) के प्रश्न संख्या 2 में "विसंगति और स्पष्ट त्रुटि" का दावा किया था। उन्होंने रिट याचिका में कहा था प्रश्न के हिंदी अनुवाद में "एम्पलीट्यूड ऑफ करंट" शब्द का लोप कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, प्रश्न में प्रयुक्त हिंदी शब्द "धारा" का अर्थ "एम्पलीट्यूड" नहीं है। 25 नवंबर को पिछली सुनवाई पर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि मुद्दे की जांच तीन तटस्थ विशेषज्ञों ने की थी। उन्होंने कहा था कि कथित विसंगति के बावजूद उत्तर समान होगा।

    पीठ ने एसजी से पूछा था कि क्या विशेषज्ञों का एक और समूह मामले की जांच कर सकता है। एसजी ऐसा करने के लिए सहमत भी थे।

    हालांकि उन्होंने आज पीठ को बताया कि एनटीए ने प्रश्न के हिंदी और अंग्रेजी दोनों वर्जन में उत्तरों का मूल्यांकन करने के लिए आईआईटी गुवाहाटी, दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के तीन प्रोफेसरों की एक और समिति का गठन किया।

    उन्होंने बताया कि "तीनों ने सहमति व्यक्त की है कि चाहे हम अंग्रेजी का वर्जन लें या हिंदी का, उत्तर वही रहता है। उन्होंने कहा कि यहां "धारा" का कोई महत्व नहीं था।"

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट अर्चना पाठक दवे ने कहा कि "धारा" का अर्थ "एम्पलीट्यूड" नहीं है। उन्होंने कहा कि कक्षा 12 की फिजिक्स की किताब में, जो NEET के छात्रों के लिए "बाइबल" है, "एम्पलीट्यूड" के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द "आयाम" है।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "जब विशेषज्ञों की राय है तो हमारे लिए हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।"

    पीठ ने इसी टिप्‍पणी की साथ याचिका खार‌िज कर दी।

    याचिका

    छात्रों का दावा यह था कि उक्त चूक के कारण हिंदी अनुवाद के आधार पर प्रश्न हल करने वाले उम्मीदवारों ने अंग्रेजी प्रश्न के आधार पर प्रश्न हल करने वाले उम्मीदवारों की तुलना में एक अलग उत्तर प्राप्त किया।

    NEET UG 2021 में उपस्थित छात्रों ने तर्क दिया था कि उक्त बहुविकल्पीय प्रश्नों के विकल्प के रूप में गलत और सही दोनों उत्तर दिए गए थे।

    इस संबंध में, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ("प्रतिवादी संख्या 1") को निर्देश जारी करने की मांग की गई थी कि NEET UG के अन्य सेटों में प्रश्न पत्र कोड P2 और उसके संबंधित प्रश्नों के सेक्‍शन ए (भौतिकी) के प्रश्न 2 को हटा दिया जाए और नए परिणाम जारी करें।

    याचिकाकर्ताओं ने NEET UG 2021 को गलत, दोषपूर्ण और भेदभावपूर्ण और अनुच्छेद 14, 19 और 21 के उल्लंघन के रूप में घोषित करने की भी मांग की थी।

    याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अर्चना पाठक दवे के माध्यम से दायर की गई है और एडवोकेट कुमार प्रशांत और मनीष शर्मा द्वारा मसौदा तैयार किया गया था।

    केस शीर्षक : वाजिदा तबस्सुम और अन्य बनाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और अन्य | WP(c) No.1260/2021

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