NEET-UG 2025: हाईकोर्ट ने बिजली कटौती के कारण दोबारा परीक्षा कराने का निर्देश किया खारिज, NTA से भविष्य में उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा

Shahadat

14 July 2025 12:43 PM

  • NEET-UG 2025: हाईकोर्ट ने बिजली कटौती के कारण दोबारा परीक्षा कराने का निर्देश किया खारिज, NTA से भविष्य में उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (14 जुलाई) को इंदौर और उज्जैन के केंद्रों पर बिजली कटौती से प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए NEET-UG 2025 परीक्षा की दोबारा परीक्षा कराने के एकल न्यायाधीश के निर्देश के खिलाफ राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा दायर रिट अपील स्वीकार की।

    जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने NTA और स्थानीय अधिकारियों को भविष्य में परीक्षा आयोजित करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

    खंडपीठ ने कहा,

    "भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए NTA के साथ-साथ प्रत्येक जिले के स्थानीय प्रशासन को सभी आवश्यक उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है, विशेष रूप से नियमित या वैकल्पिक बिजली आपूर्ति, बैठने की उचित व्यवस्था, हवा और शीतलन की उपलब्धता आदि। स्थानीय प्रशासन की यह ज़िम्मेदारी है कि वह ऐसे केंद्रों की सूची तैयार करे, जिनका उपयोग किसी भी एजेंसी द्वारा इस प्रकार की महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए किया जा सके।"

    बता दें, स्टूडेंट्स ने दावा किया था कि परीक्षा वाले दिन भारी बारिश और आंधी आई थी, जिसके कारण लंबे समय तक बिजली गुल रही। आरोप लगाया गया कि पर्याप्त बिजली बैकअप नहीं था, जिससे स्टूडेंट्स के लिए परीक्षा देना मुश्किल हो गया। स्टूडेंट्स ने तर्क दिया कि स्थानीय प्रशासन जनरेटर या इनवर्टर जैसी पर्याप्त बैकअप लाइटिंग उपलब्ध कराने में विफल रहा, जिससे उनके पेपर देने में भारी बाधा आई।

    हालांकि, NTA ने कलेक्टर की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके अनुसार अधिकांश केंद्रों ने आपातकालीन लाइटों, मोमबत्तियों आदि जैसे वैकल्पिक साधनों के माध्यम से प्रकाश व्यवस्था बहाल कर ली। NTA ने प्रस्तुत किया कि इंदौर के 49 केंद्रों में से 10 में कोई व्यवधान नहीं हुआ, 19 में जनरेटर चालू थे और 18 में बिजली कटौती के बावजूद पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश था। केवल दो केंद्रों में दो मिनट से भी कम समय की संक्षिप्त व्यवधान की स्थिति रही।

    मौसम की अप्रत्याशित स्थिति देखते हुए खंडपीठ ने कहा,

    "अचानक उत्पन्न हुई यह स्थिति NTA और स्थानीय प्रशासन के नियंत्रण से बाहर थी, क्योंकि आमतौर पर मानसून मई के पहले सप्ताह में मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्से में कभी नहीं पहुंचता। इसलिए कोई भी गर्मी के चरम दिनों में बारिश और गरज के साथ बारिश की उम्मीद नहीं कर सकता। अचानक मौसम बदल गया और तेज़ तूफ़ान और बारिश शुरू हो गई। वास्तव में कोई भी इसके लिए तैयार नहीं था। इसलिए स्टूडेंट्स के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि उन्हें ऐसी अप्रत्याशित व्यवधान के दौरान परीक्षा में शामिल होना पड़ा।"

    अदालत ने कहा कि 27,264 स्टूडेंट्स में से केवल 70 ने ही मूल रिट याचिकाएं दायर की थीं। NTA द्वारा एक विशेषज्ञ समिति गठित करने से यह स्पष्ट होता है कि उसने एक विरोधी पक्ष की तरह काम नहीं किया, बल्कि तकनीकी समीक्षा शुरू करके ज़िम्मेदारी से जवाब दिया।

    खंडपीठ ने कहा,

    "इसलिए NTA ने इस मामले को एक विरोधी पक्षकार के रूप में नहीं लड़ा, जैसा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सही कहा है।"

    अदिति बनाम राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए खंडपीठ ने इस मामले को पुनर्परीक्षा के लिए अनुपयुक्त माना।

    न्यायालय ने यह भी कहा,

    "इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगर पुनर्परीक्षा सभी अनुकूल परिस्थितियों या माहौल में भी की जाए तो भी वे इस परीक्षा से अधिक अंक प्राप्त करेंगे।"

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