"अवैध खनन में लिप्त व्यक्तियों में भय की भावना पैदा करने की आवश्यकता": मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार से मुआवजा वसूलने को कहा

LiveLaw News Network

24 Sep 2021 10:27 AM GMT

  • God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination

    मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध खनन पर चिंता व्यक्त करते हुए गुरुवार को कहा कि जब तक राज्य में अवैध खनन में लिप्त व्यक्तियों में भय की भावना पैदा नहीं होती तब तक अवैध खनन की बीमारी को खत्म नहीं किया जा सकता है।

    चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस पीडी ऑदिकेसवालु की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए अवैध खनिकों के खिलाफ अपनी मशीनरी का कड़ाई से इस्तेमाल करे।

    बेंच ने इस प्रकार सावूडू (साधारण रेत के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक बोलचाल शब्द) के खनन पर अंतरिम रोक को बढ़ाते हुए आदेश दिया और कहा कि तत्काल मामले को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता है क्योंकि अन्य याचिकाएं भी हैं, जिनमें पूरे राज्य में अवैध के संबंध में आरोप लगाए गए हैं।

    कोर्ट ने कहा, वास्तव में इस राज्य में किसी भी प्रमुख राजमार्ग की आप यात्रा करें और आपको बड़े पैमाने पर हो रहे खनन कार्यों का पता चलता है। सभी जगह चट्टानें और पत्‍थर तोड़े जा रहे हैं।

    इस संबंध में न्यायालय ने कहा कि यह आवश्यक है कि प्रतिवादियों, विशेष रूप से वे प्रतिवादी, जिन्हें इस आदेश के अनुसार जांच करने का कार्य सौंपा गया है, गिरफ्तारी के लिए कानून के अनुसार तत्काल उचित कदम उठाने के लिए अपनी आंखें और कान खुले रखें, राज्य में कहीं भी या जब भी अवैध खनन होता है।

    अंत में, राज्य को किसी व्यक्ति द्वारा की गई अवैध उत्खनन की सीमा का आकलन करने और जुर्माना लगाने के साथ-साथ उसके बराबर धन की वसूली करने के लिए कहते हुए कोर्ट ने कहा, " ...यह राज्य के अवैध या अनुमति बिना हो रहे खनन को रोकने से संतुष्ट हो जाने भर से नहीं होगा। कोई भी व्यक्ति जो अवैध खनन में लिप्त है...उसे इसकी भरपाई करवाई जाए।"

    वहीं एक अन्य मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकारों को राज्य में अवैध खनिकों और खदान मालिकों से पारिस्थितिकी के क्षरण में योगदान के लिए मुआवजे की वसूली के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था।

    चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस पीडी ऑदिकेसवालु की पीठ ने कहा,

    "राज्य की ओर से केवल यह रिपोर्ट करने से कि कुछ व्यक्तियों द्वारा की जा रही अवैध खनन गतिविधियों को रोक दिया गया है, से काम नहीं चलेगा। भविष्य में ऐसे कृत्य करने वालों के लिए एक निवारक हो, इसके लिए राज्य को अवैध खनन के अपराधियों से उचित मुआवजे वसूलना होगा, जिसमें पारिस्थितिकी के क्षरण और उसे अपवित्र करने से हुआ नुकसान भी शामिल हो।"

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