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NDPS केस- "सत्र न्यायाधीश ने जमानत याचिका का निपाटार क्यों किया, जब इस मामले में याचिका हाईकोर्ट में लंबित है?": पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जवाब मांगा

LiveLaw News Network
8 July 2021 6:44 AM GMT
NDPS केस- सत्र न्यायाधीश ने जमानत याचिका का निपाटार क्यों किया, जब इस मामले में याचिका हाईकोर्ट में लंबित है?: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जवाब मांगा
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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को सिरसा, हरियाणा के सत्र न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा कि उन्होंने एनडीपीएस अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए एक आरोपी की नियमित जमानत के लिए याचिका पर निपटारा कैसे किया, जबकि यह याचिका हाईकोर्ट के समक्ष लंबित थी।

न्यायमूर्ति एचएस मदान की खंडपीठ ने न्यायाधीश से यह भी जवाब मांगा है कि क्या इस न्यायालय के समक्ष लंबित याचिका को राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक अभियोजक या संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा उनके संज्ञान में लाया गया था।

अदालत एनडीपीएस अधिनियम की धारा 21 के तहत एक मामले में दर्ज एक आरोपी जी हेमवती (अब याचिका वापस लेने की मांग) द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

मुख्य याचिका को वापस लेने का कारण यह था कि याचिकाकर्ता को सत्र न्यायाधीश, सिरसा द्वारा 26 जून, 2021 के आदेश द्वारा नियमित जमानत के लिए रियायत दी गई थी।

इसे 'अजीब' बताते हुए अदालत ने कहा कि वह दो अदालतों में एक साथ हाईकोर्ट के साथ-साथ सत्र न्यायाधीश, सिरसा के समक्ष सुनवाई का लाभ उठा रहा था।

याचिका 25 जून, 2021 को निचली अदालत में दायर की गई थी। इस पर 26 जून, 2021 को सुनवाई की गई थी था, जबकि हाईकोर्ट के समक्ष यह याचिका 6 मई, 2021 को दायर की गई थी।

अदालत ने सत्र न्यायाधीश, सिरसा को यह भी बताने का निर्देश दिया है कि उसने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के प्रावधानों पर विचार किए बिना आरोपी को जमानत पर कैसे रिहा किया।

इस संबंध में सत्र न्यायाधीश, सिरसा से 22 जुलाई, 2021 को रिपोर्ट मांगी गई है।

एएजी, हरियाणा को पूरे मामले से निदेशक अभियोजन, पंचकूला (हरियाणा) के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक, हरियाणा, चंडीगढ़ को अवगत कराने का निर्देश दिया गया है ताकि संबंधित अधिकारी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

रजिस्ट्री को सत्र न्यायाधीश, सिरसा से प्राप्त रिपोर्ट और एएजी, हरियाणा से लिखित सूचना को 30 जुलाई, 2021 तक न्यायालय के समक्ष रखने के लिए कहा गया है।

इसके साथ ही जमानत याचिका वापस लेने के अनुरोध के बाद खारिज कर दी गई।

केस का शीर्षक - जी.हेमवती बनाम हरियाणा राज्य

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