एनडीपीएस अधिनियम | प्रतिबंधित पदार्थों की सैंपलिंग के दौरान स्थायी आदेशों का उल्लंघन अभियोजन के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष पैदा करता है: तेलंगाना हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

24 July 2022 12:22 PM GMT

  • एनडीपीएस अधिनियम | प्रतिबंधित पदार्थों की सैंपलिंग के दौरान स्थायी आदेशों का उल्लंघन अभियोजन के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष पैदा करता है: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत नमूना चयन और जब्ती के संबंध में स्थायी आदेशों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है और स्थायी आदेशों के पर्याप्त अनुपालन के अभाव में अभियोजन पक्ष के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकालना ही पड़ेगा।

    यह टिप्पणी दो वाहनों से 107 पैकेटों में 214 किलोग्राम गांजा बरामद किये जाने के मामले में आई है।

    जस्टिस के. सुरेंद्र ने कहा कि जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थ से नमूने लेते समय, जांच अधिकारी यह निर्दिष्ट करने में विफल रहे कि गांजा का उक्त नमूना किसके पास से लिया गया था, क्योंकि पहले याचिकाकर्ता (ए1) से 55 पैकेट जब्त किए गए थे, दूसरे याचिकाकर्ता (ए2) से 40 पैकेट जब्त किए गए थे तथा आरोपी संख्या 10 से गांजा के 12 पैकेट जब्त किए गए।

    " रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि जांच अधिकारी ने एफएसएल जांच के उद्देश्य से प्रत्येक पैकेट से नमूने नहीं लिए हैं। अभियोजन पक्ष ने यह भी मामला नहीं बनाया कि सभी पैकेट से प्राप्त गांजा सूखे थे, इसलिए उन्हें एक जगह मिलाकर मिश्रण बनाया गया था। जब रिकॉर्ड से यह स्पष्ट होता है कि नमूने का चयन 1989 के स्थायी निर्देश संख्या- 1/ दिनांक 13.06.1989 के विपरीत किया गया था, जो अनिवार्य है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया था। "

    याचिकाकर्ताओं के वकील के अनुरोध का मुख्य आधार यह है कि i) नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (संक्षेप में 'एनडीपीएस एक्ट') की धारा 42 का अनुपालन नहीं किया गया है क्योंकि इसमें वरिष्ठ अधिकारी को आवश्यकतानुसार 72 घंटे के भीतर सूचित करने का कोई उल्लेख नहीं है; ii) न तो रिमांड रिपोर्ट और न ही शिकायत 1989 के स्थायी आदेश 1/दिनांक 13.06.1989 के अनुसार किए गए नमूना चयन के बारे में इंगित करती है। उन्होंने आगे कहा कि स्वीकार्य रूप से मजिस्ट्रेट की देखरेख में कोई सैंपलिंग नहीं की गई थी।

    स्थायी आदेश 1/89 में प्रावधान है कि रासायनिक परीक्षण के लिए प्रत्येक में से 24 ग्राम की मात्रा निकाली जानी है।

    कोर्ट ने कहा कि यह भी पता नहीं चल पाया है कि जब्त किए गए 107 पैकेटों में से नमूना किस पैकेट से लिया गया था। कोर्ट ने आगे कहा कि उक्त परिस्थितियों में, जब स्थायी आदेश का घोर उल्लंघन होता है, तो याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा होने के हकदार होते हैं।

    जमानत के लिए प्रत्येक को एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बॉण्ड और इतनी ही राशि के दो-दो जमानदार देने की शर्त पूरी करनी पड़ेगी, जिनमें से एक स्थानीय जमानतदार होगा और दूसरा उसके गांव का। आरोपियों को आदेश में निर्दिष्ट पुलिस स्टेशन के समक्ष पेश होने का भी निर्देश दिया जाता है।

    केस टाइटल : बाबा सो चांडेकर और अन्य बनाम तेलंगाना सरकार

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