NCLAT जज ने मामले से खुद को अलग किया, कहा- 'उच्च न्यायपालिका के सदस्य' ने विशेष पक्षकार के पक्ष में आदेश देने के लिए संपर्क किया था
Shahadat
26 Aug 2025 1:37 PM IST

राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT), चेन्नई पीठ के न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने एक दिवालियापन मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने यह टिप्पणी करते हुए यह मामला उठाया कि "उच्च न्यायपालिका के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक" ने उनसे विशेष पक्ष के पक्ष में आदेश देने की मांग की थी।
न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा और तकनीकी सदस्य जतिंद्रनाथ स्वैन की पीठ द्वारा 13 अगस्त को पारित आदेश में कहा गया:
"हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि हममें से एक सदस्य (न्यायिक) से इस देश की उच्च न्यायपालिका के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक ने एक विशेष पक्ष के पक्ष में आदेश देने की मांग की है। इसलिए मैं इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करता हूं। इसे उचित पीठ के नामांकन के लिए माननीय अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।"
अदालत ने यह आदेश अपीलकर्ता/कॉर्पोरेट देनदार केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड के निलंबित निदेशक अटलुरु श्रीनिवासुलु रेड्डी द्वारा दायर कंपनी अपील पर पारित किया, जिसमें 14 जुलाई, 2023 को कंपनी याचिका पर पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश में कॉर्पोरेट देनदार को दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत धारा 9 कॉर्पोरेट दिवाला समाधान कार्यवाही में शामिल किया गया था।
18 जुलाई, 2023 को NCLAT की समन्वित पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि यह पहली घटना नहीं है, जब जस्टिस शर्मा ने अपने आदेशों में उल्लेख किया हो कि पक्षकारों ने अनुकूल आदेशों के लिए उनसे संपर्क किया था।
पिछले साल जून में जस्टिस शर्मा ने अन्य मामले से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया था कि संबंधित पक्ष द्वारा उनसे संपर्क करने के बाद उनकी अंतरात्मा उन्हें मामले की सुनवाई जारी रखने की अनुमति नहीं दे रही है।
इसके बाद नवंबर, 2024 में जस्टिस शर्मा ने अन्य मामले से खुद को अलग कर लिया, जब उनके भाई ने उन्हें संदेश भेजकर मामले में अनुकूल आदेशों का अनुरोध किया। इसके अलावा, सुनवाई से अलग होने के आदेश में जज ने पूरे संदेश को शब्दशः उद्धृत किया।
Case title: Mr. Attluru Sreenivasulu Reddy Suspended Director of M/s. KLSR Infratech Ltd. v/s M/s. AS Met Corp Pvt. Ltd. & Anr

