मुंबई कोर्ट का आदेश, पूर्व SEBI प्रमुख माधवी बुच पर दर्ज की जाए FIR

Shahadat

2 March 2025 3:57 PM

  • मुंबई कोर्ट का आदेश, पूर्व SEBI प्रमुख माधवी बुच पर दर्ज की जाए FIR

    मुंबई के स्पेशल कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB), मुंबई को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और इसके तीन "पूर्णकालिक सदस्यों" तथा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया।

    स्पेशल जज (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने CrPC की धारा 156(3) के तहत आवेदन पर यह आदेश पारित किया।

    स्पेशल जज एस ई बांगर ने पेशे से पत्रकार सपन श्रीवास्तव (47) द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिकायत में "संज्ञेय अपराध" का खुलासा हुआ। इसलिए ACB को भारतीय दंड संहिता (IPC), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) और SEBI Act के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत FIR दर्ज करने और 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

    अदालत ने माधबी, अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश वार्ष्णेय (SEBI के तत्कालीन सदस्य) के साथ-साथ BSE के निदेशक सुंदररामन राममूर्ति और BSE के जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल के खिलाफ जांच का आदेश दिया।

    जज ने स्पष्ट किया कि उन्होंने शिकायत में बताए गए "अपराध की गंभीरता" पर विचार किया। इसलिए दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 156 (3) के तहत जांच का आदेश दिया।

    जज ने आदेश में कहा,

    "आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है, जिसके लिए जांच की आवश्यकता है। नियामक चूक और मिलीभगत के प्रथम दृष्टया सबूत हैं, जिसके लिए निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। कानून प्रवर्तन और SEBI द्वारा निष्क्रियता के कारण CrPC की धारा 156(3) के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।"

    अपनी शिकायत में श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि माधबी ने SEBI और BSE के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी की "धोखाधड़ीपूर्ण" लिस्टिंग की अनुमति दी। साथ ही कंपनी के खिलाफ उसके गलत कामों के लिए कोई कार्रवाई भी नहीं की।

    श्रीवास्तव के अनुसार उन्होंने और उनके परिवार ने 13 दिसंबर, 1994 को कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड के शेयरों में निवेश किया, जो BSE इंडिया में सूचीबद्ध थी और उन्हें भारी नुकसान हुआ था। उन्होंने दावा किया कि SEBI और BSE के अधिकारियों ने कंपनी के अपराधों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इसके बजाय इसे कानून के खिलाफ सूचीबद्ध किया और निवेशकों के हितों की रक्षा करने में भी विफल रहे।

    शिकायत में BSE और SEBI के अधिकारियों पर बाजार में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को बढ़ावा दिया।

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