हाईकोर्ट में पदोन्नत हुए न्यायिक अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला जज ने दिया इस्तीफा

Shahadat

30 July 2025 10:47 AM IST

  • हाईकोर्ट में पदोन्नत हुए न्यायिक अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला जज ने दिया इस्तीफा

    मध्य प्रदेश की एक न्यायिक अधिकारी ने कथित तौर पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने एक न्यायिक अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिनकी हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना सोमवार को केंद्र द्वारा जारी की गई थी।

    मीडिया रिपोर्ट में, न्यायिक अधिकारी अदिति गजेंद्र शर्मा ने अपने इस्तीफे में कहा कि वह "विश्वासघात के दर्द" के साथ यह पत्र लिख रही हैं, "किसी अपराधी या आरोपी के हाथों नहीं, बल्कि उसी व्यवस्था के हाथों जिसकी सेवा करने की मैंने शपथ ली थी।"

    मीडिया में शेयर हुए इस्तीफा में कहा गया कि न्यायिक अधिकारी ने आरोप लगाया कि महिला जज के रूप में उन्हें "लगातार उत्पीड़न" का सामना करना पड़ा, जिन्होंने "एक सीनियर जज के खिलाफ बोलने का साहस किया...जो गैर-जवाबदेह शक्ति का प्रयोग कर रहे थे"।

    पत्र में कथित तौर पर कहा गया कि न्यायिक अधिकारी ने हर वैध रास्ता अपनाया—जिसमें उन्होंने रजिस्ट्रार जनरल, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति को पत्र लिखा, लेकिन फैसला "खामोश" रहा।

    पत्र में कथित तौर पर कहा गया,

    "वही न्यायपालिका जो पीठ से पारदर्शिता का उपदेश देती है, अपने ही सदनों में प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का पालन करने में भी विफल रही। वही संस्था जो कानून के समक्ष समानता सिखाती है, उसने सत्य पर अपनी चुनी हुई शक्ति का इस्तेमाल किया... जिसने मेरी पीड़ा को अंजाम दिया, उससे सवाल नहीं किया गया - उसे पुरस्कृत किया गया। सिफ़ारिश की गई। उसे ऊंचा दर्जा दिया गया। समन के बजाय उसे एक पद दिया गया... जिस व्यक्ति पर मैंने हल्के-फुल्के ढंग से, गुमनाम रूप से नहीं, बल्कि दस्तावेज़ी तथ्यों और उस अदम्य साहस के साथ आरोप लगाया था जो केवल एक घायल महिला ही कर सकती है, उससे स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया। कोई पूछताछ नहीं। कोई नोटिस नहीं। कोई सुनवाई नहीं। कोई जवाबदेही नहीं—अब उसका नाम न्याय है, जो अपने आप में एक क्रूर मज़ाक है।"

    पत्र में कथित तौर पर कहा गया कि न्यायिक अधिकारी संस्था से "बिना किसी पदक" के बल्कि एक "कड़वी सच्चाई" के साथ विदा हो रही है कि न्यायपालिका ने न केवल उसे, बल्कि खुद को भी विफल कर दिया।

    उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष के आरंभ में मध्य प्रदेश में इस महिला जज और एक अन्य अधिकारी की सेवा समाप्ति को "दंडात्मक, मनमाना और अवैध" पाते हुए रद्द कर दिया था।

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