भरण-पोषण कार्यवाही में 'ट्रांस' पति की शारीरिक स्थिति को सत्यापित कराना चाहती थी पत्नी, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

Shahadat

19 Oct 2023 4:46 AM GMT

  • भरण-पोषण कार्यवाही में ट्रांस पति की शारीरिक स्थिति को सत्यापित कराना चाहती थी पत्नी, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह पारित फैमिली कोर्ट का आदेश को बरकरार रखा। उक्त आदेश में 'पत्नी' द्वारा खुद के ट्रांसजेंडर पुरुष होने का दावा करने वाले अपने 'पति' की शारीरिक स्थिति को सत्यापित करने के लिए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण कार्यवाही में मेडिकल एक्सपर्ट बुलाने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी गई थी।

    जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के की पीठ ने फैमिली कोर्ट के आदेश से सहमत होते हुए कहा कि भरण-पोषण की कार्यवाही में कथित पत्नी द्वारा दायर की गई याचिका का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि ऐसी कार्यवाही में केवल पक्षों के पति और पत्नी होने का तथ्य स्थापित करना होता है।

    इसके साथ ही फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी की याचिका खारिज कर दी गई।

    फैमिली कोर्ट के समक्ष अपने आवेदन में याचिकाकर्ता-पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति का दावा है कि उसने खुद का ऑपरेशन करवाया और खुद को ट्रांसजेंडर पुरुष के रूप में परिवर्तित कर लिया, जिसे केवल मेडिकल एक्सपर्ट/डॉक्टर को बुलाकर सत्यापित किया जा सकता है।

    प्रतिवादी-पति द्वारा इस तथ्य से इनकार करने के बाद कि वह याचिकाकर्ता का पति है और वह ट्रांसजेंडर समुदाय से है, आवेदन दायर किया गया।

    फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन की सामग्री पर विचार करने के बाद कहा कि चूंकि कार्यवाही सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए चल रही है, इसलिए एकमात्र तथ्य यह स्थापित किया जाना है कि क्या वर्तमान याचिकाकर्ता प्रतिवादी की पत्नी है।

    न्यायालय ने आगे कहा कि आवेदन की अनुमति देने और प्रतिवादी की भौतिक स्थिति का सत्यापन कराने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

    फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने यह तर्क देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया कि केवल इस आधार पर कि प्रतिवादी ट्रांसजेंडर पुरुष है, वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कार्यवाही में भरण-पोषण के लिए भुगतान करने से कतरा रहा है। इसलिए आवेदन भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 45/73 के तहत अनुमति के योग्य है।

    हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील को सुनने और आक्षेपित आदेश का अवलोकन करने के बाद न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई अवैधता नहीं पाई।

    परिणामस्वरूप, उसकी याचिका खारिज करने से पहले न्यायालय ने इस प्रकार टिप्पणी की:

    “… माना कि जिस कार्यवाही में उक्त आवेदन दिया गया, वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की कार्यवाही है। उसमें पक्षकारों के पति और पत्नी होने का तथ्य स्थापित किया जाना है। ट्रायल कोर्ट ने ठीक ही कहा कि इन कार्यवाहियों में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए आवेदन का कोई महत्व नहीं है।

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