मप्र हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामले में जब्ती संबंधी अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं करने पर पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच के निर्देश दिए

Avanish Pathak

12 Dec 2022 2:48 PM GMT

  • मप्र हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामले में जब्ती संबंधी अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं करने पर पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच के निर्देश दिए

    Madhya Pradesh High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने हाल ही में पुलिस महानिरीक्षक, चंबल रेंज को एनडीपीएस मामले में सीज़र ऑफिसर (जब्ती अधिकारी) के खिलाफ जांच का निर्देश दिया। सीज़र ऑफिसर पर आरोप था कि उसने एनडीपीएस एक्‍ट के तहत प्रतिबंधित सामग्री जब्त करने में अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया।

    जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने आरोपी को जमानत देत हुए, सीज़र ऑफिसर की ओर से की गई गलतियों की आलोचना की। उन्होंने जांच के सबंध आदेश प्राप्त होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

    मामला

    आवेदक पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 8, 20 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आवेदक भांग का ट्रांसपोर्ट कर रहा था, जिसे पुलिस ने पकड़ लिया था। प्रतिबंधित पदार्थ 50 अलग-अलग पैकेटों में पाया गया, जिन्हें खोला गया, मिलाया गया और फिर पुलिस ने उन्हें दो अलग-अलग बैगों में सील कर दिया। आवेदक और सह आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और नमूने रासायनिक जांच के लिए भेजे गए। जांच करने पर मादक पदार्थ भांग पाया गया और आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया।

    अदालत के समक्ष जमानत आवेदन पर बहस करते हुए, आवेदक ने प्रस्तुत किया कि पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत निर्धारित अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया है। उन्हें नशीले पदार्थों को आपस में नहीं मिलाना चाहिए था और इसके बजाय उन्हें सभी 50 पैकेटों से अलग-अलग नमूने लेने चाहिए थे। यह दावा किया गया था कि चूंकि सभी मादक पदार्थों को एक साथ मिलाया गया था, इसलिए यह नहीं माना जा सकता था कि सभी 50 पैकेटों में भांग थी।

    पक्षकारों के प्रस्तुतीकरण और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों की जांच करते हुए, न्यायालय ने आवेदक की दलीलों पर सहमति व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट के नेतराम बनाम राजस्थान राज्य के फैसले पर भरोसा करते हुए अदालत ने कहा कि यदि प्रत्येक बैग से नमूने एकत्र नहीं किए जाते हैं और अलग से परीक्षण नहीं किया जाता है तो यह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, नई दिल्ली द्वारा जारी किए गए स्थायी निर्देश संख्या 1/88, विशेष रूप से निर्देश संख्या 1.7 के अनुरूप नहीं होता हैं।

    और, इस तरह, यह नहीं कहा जा सकता है कि इस मामले में बरामद मादक पदार्थ व्यावसायिक मात्रा या उससे अधिक का होगा।

    उपरोक्त टिप्पणियों के साथ और मामले की मे‌रिट पर टिप्पणी किए बिना, अदालत ने आवेदन की अनुमति दी और आवेदक को जमानत दे दी। इसके अलावा, पुलिस की भूमिका पर विचार करते हुए, अदालत ने सीज़र ऑ‌फिसर के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत निर्धारित अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं करने के लिए जांच का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: नईम खान बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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