मोरबी हादसा | गुजरात कोर्ट ने ओरेवा कंपनी के दो प्रबंधकों की पुलिस रिमांड बढ़ाने से इनकार किया, चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा

Shahadat

7 Nov 2022 6:49 AM GMT

  • मोरबी हादसा | गुजरात कोर्ट ने ओरेवा कंपनी के दो प्रबंधकों की पुलिस रिमांड बढ़ाने से इनकार किया, चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा

    गुजरात के मोरबी जिले की अदालत ने 30 अक्टूबर को मोरबी ब्रिज टूटने की घटना के सिलसिले में ओरेवा कंपनी के दो प्रबंधकों सहित चार आरोपियों की पुलिस रिमांड बढ़ाने से इनकार कर दिया। इस हादसे में कम से कम 140 लोगों की जान गई थी।

    इससे पहले एक नवंबर को चार आरोपियों को 5 नवंबर तक 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। शनिवार को अभियोजन पक्ष ने आरोपियों की और पुलिस रिमांड की मांग की तो अदालत ने इससे इनकार करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

    चार आरोपियों में से दो ओरेवा कंपनी के प्रबंधक हैं, जिन्हें ठेका दिया गया था और वे पुल के नवीनीकरण के मामलों के प्रभारी थे। अन्य दो को पुल के रखरखाव के लिए उपठेका दिया गया था। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304,308,336,337 और 114 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    ब्रिटिश शासन के दौरान बने इस पुल को मरम्मत के लिए मार्च से ही बंद कर दिया गया था। ओरेवा कंपनी को इसके नवीनीकरण के लिए 15 साल का अनुबंध दिया गया और इसे 30 अक्टूबर को टूटने से ठीक चार दिन पहले जनता के लिए फिर से खोल दिया गया।

    दोनों प्रबंधकों (आरोपी) के वकील धर्मेंद्र शुक्ला ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष द्वारा दावा किए जाने के विपरीत ओरेवा समूह और मोरबी नगरपालिका के बीच समझौते ने पुल के फिर से खोलने के संबंध में किसी भी शर्त का प्रावधान नहीं किया।

    यह उनका प्राथमिक तर्क था कि अनुबंध में फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के संबंध में कोई खंड शामिल नहीं था। यह भी तर्क दिया गया कि चूंकि अभियोजन पक्ष को केवल तीसरे पक्ष के दस्तावेजों जैसे समझौते और पुल के नवीनीकरण के संबंध में बैठक के कार्यवृत्त आदि को अभियुक्तों को हिरासत में लेकर सत्यापित करना है, इस उद्देश्य के लिए पुलिस रिमांड आवश्यक नहीं है।

    बचाव पक्ष के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मोरबी, एमजे खान ने पुलिस हिरासत को और बढ़ाने से इनकार कर दिया।

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