चूंकि पीड़िता एक है, इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि अपराध भी एक ही हो: कर्नाटक हाईकोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के मामलो में आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी

Avanish Pathak

7 Nov 2022 10:53 AM GMT

  • चूंकि पीड़िता एक है, इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि अपराध भी एक ही हो: कर्नाटक हाईकोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के मामलो में आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की की शिकायत के आधार पर बलात्कार के आरोपी विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज करने को बरकरार रखा है, जिसे कथित तौर पर वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया था।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल जज बेंच ने कहा,

    "एक नाबालिग लड़की के संपर्क में आया हर आदमी उसके साथ शारीरिक संपर्क था। वे अलग-अलग घटनाएं हैं जो एक ही दिन हो सकती हैं। आरोपी अलग हैं क्योंकि हर आदमी अलग था। केवल इसलिए कि पीड़ित एक ही है, यह यह नहीं कहा जा सकता है कि केवल एक अपराध दर्ज किया जाना चाहिए था और उन सभी को उक्त अपराध में आरोपी के रूप में एक साथ रखा जाना चाहिए।"

    इस प्रकार कोर्ट ने आरोपी मोहम्मद शरीफ उर्फ ​​फहीम हाजी के इस तर्क को खारिज कर दिया कि पीड़िता की पहचान पर उसके साथ इस तरह के यौन संबंध बनाने वाले प्रत्येक आरोपी के खिलाफ अलग-अलग अपराध दर्ज किए जा रहे हैं, हालांकि सभी आरोपियों को एक एफआईआर और एक आरोप पत्र के तहत लाया जा सकता है।

    आरोपी ने अपने खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 376, 506, 109 सहपठित 34 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 4, 6 और 17 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

    उसने तर्क दिया था कि वह केवल एक ग्राहक था जिसे आरोपी नंबर एक ने पीड़िता से मिलवाया था और एक ग्राहक होने के नाते उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकती है। उसने तर्क दिया कि अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत ग्राहक को दोषमुक्त किया जाता है।

    पीठ ने कहा कि आरोप पत्र के अवलोकन से याचिकाकर्ता सहित प्रत्येक आरोपी द्वारा किए गए जघन्य अपराध सामने आते हैं। कहा जाता है कि याचिकाकर्ता ने एक नाबालिग के साथ यौन संबंध बनाए, अपने फोन पर घटनाओं की वीडियोग्राफी की और इसे सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी। शिकायतकर्ता के आरोपी के चंगुल से छूटने के बाद शिकायत दर्ज कराई गई थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह ऐसा मामला नहीं है, जहां कथित पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से अधिक थी और यह ऐसा मामला नहीं है कि पुलिस ने किसी विशेष स्थान पर तलाशी ली हो और किसी घटना का पता लगाया हो...। यहां शिकायतकर्ता खुद शिकायत दर्ज करती है। वह यौन शोषण की शिकार है और उसने उक्त शिकायत दर्ज की है।"

    कोर्ट तब कहा,

    "इसलिए, विद्वान वरिष्ठ वकील एक स्पा, वेश्यालय या लॉज पर की गई तलाशी से बराबरी नहीं कर सकते, जहां ग्राहक पीड़ित के साथ इस तरह की गतिविधि में लिप्त पाया जाता है। यह अनैतिक व्यापार (रोकथाम) के मामलों में होता है, जहां कानून ने ग्राहकों को छोड़ दिया है। मौजूदा मामला उस तरह का नहीं है। अपराध POCSO पर ही नहीं रुका है, बल्कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भी अपराध शामिल है।"

    तदनुसार, कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल: मोहम्मद शरीफ @ फहीम हाजी बनाम कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: CRIMINAL PETITION No.8502 OF 2022

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 446

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