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केवल यह तथ्य कि लड़की विवाह योग्य उम्र से कम है, उसे जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं करता: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने लिव-इन जोड़े को सुरक्षा प्रदान की

LiveLaw News Network
10 Sep 2021 10:55 AM GMT
P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man
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Punjab & Haryana High Court

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने माना है कि केवल यह तथ्य कि याचिकाकर्ता-लड़की विवाह योग्य आयु की नहीं है, उसे भारत के नागरिक होने के नाते संविधान में परिकल्पित मौलिक अधिकार से वंचित नहीं करेगा। न्यायालय ने नाबालिग लड़की को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।

जस्टिस हरनरेश सिंह गिल ने कहा कि संवैधानिक दायित्वों के अनुसार प्रत्येक नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का बाध्य कर्तव्य है।

उन्होंने कहा, "संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।"

याचिकाकर्ता प्रेमी जोड़े हैं, जिनमें लड़की की उम्र 17 साल दस महीने है, जबकि लड़का बालिग हो चुका है। शादी की उम्र में आने के बाद दोनों एक-दूसरे से शादी करने के लिए तैयार हैं। हालांकि लड़के के परिजन उनके रिश्ते के खिलाफ हैं। याचिकाकर्ता-जोड़े लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं, उन्हें लड़के के परिवार से धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने सुरक्षा की मांग को लेकर इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें अपने जीवन के लिए लगातार खतरा महसूस हो रहा है और आशंका में जी रहे हैं कि लड़के का परिवार उनकी हत्या की हद तक जा सकता है। याचिका मे नंदकुमार और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य (2018) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया गया है, और अन्य न्यायिक मिसालें दी गई हैं।

याचिकाकर्ता की वैवाहिक स्थिति या लिव-इन रिलेशनशिप पर टिप्पणी करने से खुद को रोकते हुए कोर्ट ने कहा कि जोड़े को देश के नागरिक के रूप में माना जाना चाहिए, जिससे उन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके। यह तथ्य कि लड़की विवाह योग्य उम्र की नहीं है, जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में बाधक नहीं है।

शीर्षक: ममता और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य।

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