केवल सगाई किसी व्यक्ति को मंगेतर का यौन उत्पीड़न करने की अनुमति नहीं देती, दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत से इनकार करते हुए कहा

Avanish Pathak

6 Oct 2022 7:09 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगेतर से शादी के बहाने कई बार बलात्कार करने के आरोपी युवक को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि सगाई होने का मतलब यह नहीं कि आरोपी मंगेतर का यौन उत्पीड़न, मारपीट या धमकी दे सकता है।

    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने आरोपी की ओर से दिए गए तर्क को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि चूंकि दोनों पक्षों की सगाई हुई थी, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि शादी का झूठा वादा किया गया था।

    अदालत ने 22 सितंबर को एक आदेश में कहा, "हालांकि, इस अदालत की राय है कि इस तर्क में कोई बल नहीं है, क्योंकि केवल सगाई होने का मतलब यह नहीं था कि आरोपी पीड़िता का यौन उत्पीड़न कर सकता है, उसे पीटा या धमकी दे सकता है।"

    अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता के बयान के अनुसार पहली बार यौन संबंध भी शादी के बहाने बनाया गया था।

    मामले में एफआईआर 16 जुलाई को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 (बलात्कार के लिए सजा) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा) के तहत दर्ज की गई थी। 16 सितंबर को मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था।

    पीड़िता ने आरोप लगाया था कि अक्टूबर 2020 से आरोपी से दोस्ती करने और लगभग एक साल तक साथ रहने के बाद, उन्होंने पिछले साल 11 अक्टूबर को अपने परिवार के सदस्यों की सहमति से सगाई कर ली।

    एफआईआर के अनुसार, सगाई के चार दिन बाद आरोपी ने पीड़िता के साथ इस बहाने जबरन शारीरिक संबंध स्थापित किए कि वे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और जल्द ही शादी कर लेंगे।

    इसके अलावा, याचिकाकर्ता पर नशे की हालत में पीड़िता को बेरहमी से पीटने का आरोप भी लगाया गया था। उसने कथित तौर पर कई मौकों पर उसके साथ बिना सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित किए, जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर उसकी गर्भावती भी हुई। एफआईआर के अनुसार इस साल फरवरी में आरोपी ने पीड़िता को गर्भपात की गोलियां दी थीं।

    एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया कि 9 जुलाई को जब पीड़िता आरोपी के घर गई, तो उसने और उसके परिवार के सदस्यों ने शादी करने से इनकार कर दिया, जिसके कारण शिकायत दर्ज कराई गई।

    गोलियों के जर‌िए जबरन गर्भपात कराने के संबंध में पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों को 'बहुत गंभीर' बताते हुए अदालत ने कहा, "एक महिला जो अभी तक अविवाहित थी, उसने अपने सम्मान को बचाने के लिए इसका सबूत नहीं रखा होगा।"

    दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज किए गए पीड़िता के बयान के साथ-साथ चार्जशीट पर गौर करते हुए, अदालत ने पाया कि अभियोक्ता द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, जिससे पता चलता है कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसका कई बार यौन उत्पीड़न और बलात्कार किया है।

    अदालत ने कहा,

    "इस प्रकार, अपराध की गंभीरता, आरोपों की प्रकृति और इस तथ्य को देखते हुए कि अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं और मुकदमा शुरू होना बाकी है, यह जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।"

    केस टाइटल: XYZ बनाम दिल्ली एनसीटी सरकार और अन्य।

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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