एफआईआर दर्ज करने में देरी आरोपी को ज़मानत का हक नहीं देती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अस्पताल मालिक की 14 वर्षीय घरेलू सहायिका से बलात्कार के आरोपी दो डॉक्टरों की याचिका खारिज की

Avanish Pathak

22 Nov 2022 9:13 PM IST

  • एफआईआर दर्ज करने में देरी आरोपी को ज़मानत का हक नहीं देती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अस्पताल मालिक की 14 वर्षीय घरेलू सहायिका से बलात्कार के आरोपी दो डॉक्टरों की याचिका खारिज की

    Himachal Pradesh High Court

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने नियोक्ता की 13 वर्षीय घरेलू सहायिका से बलात्कार के आरोपी दो डॉक्टरों को जमानत देने से इनकार कर दिया।

    जस्टिस सत्येन वैद्य की एकल पीठ ने कहा कि कथित अपराध गंभीर प्रकृति का है और केवल एफआईआर दर्ज करने में देरी से याचिकाकर्ताओं को जमानत के लिए उनकी प्रार्थना में मदद नहीं मिलेगी।

    याचिकाकर्ता में एक की उम्र 29 वर्ष और दूसरे की 36 वर्ष। वे दोनों चौधरी अस्पताल के कर्मचारी थे। यहां पीड़िता अस्पताल मालिक के आवास पर हाउस हेल्प का काम करती है। आरोप है कि आरोपी डॉक्टरों ने पीड़िता को डरा धमका कर मालिक के घर पर ही यह अपराध किया। घटना का पता तब चला जब मालिक की बेटी ने देखा कि पीड़िता चक्कर खा रही है और उल्टियां कर रही है।

    याचिकाकर्ताओं पर आईपीसी की धारा 376-डीए और 506 और पोस्को अधिनियम की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था। कथित अपराध 24 मई को किया गया था और प्राथमिकी 31 मई, यानी सात दिनों के भीतर दर्ज की गई थी।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि एफआईआर दर्ज करने में देरी उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की झूठ का संकेत था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आरोप सच होते तो कथित पीड़िता 'हंगामा' करती और किसी को इसकी सूचना देती।

    इस दलील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा,

    ''याचिकाकर्ता दिनेश कुमार उर्फ ​​बिट्टू की उम्र 36 साल है और याचिकाकर्ता आमिर खान की उम्र करीब 29 साल है। उनके खिलाफ कथित अपराध निस्संदेह गंभीर और जघन्य प्रकृति के हैं। यह तब और अधिक महत्व रखता है जब कोई पीड़ित और याचिकाकर्ताओं के बीच उम्र के अंतर को देखता है। इस स्तर पर अभियोजन पक्ष की कहानी पर कोई संदेह करने के लिए याचिकाकर्ताओं की ओर से कम से कम प्रथम दृष्टया कोई प्रशंसनीय कारण नहीं बनाया गया है।

    केवल एफआईआर दर्ज करने में देरी से याचिकाकर्ताओं को जमानत के लिए उनकी प्रार्थना में मदद नहीं मिलेगी, यह ध्यान में रखते हुए पीड़िता की उम्र और उसे कथित रूप से जान से मारने की धमकी दी जा रही है, प्राथमिकी दर्ज करने में देरी को सुनवाई के दौरान समझाया जा सकता है।"

    यह कहते हुए कि याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा होने पर पीड़िता को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं, अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल: दिनेश कुमार शर्मा @ बिट्टू बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और अमीर खान बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य

    साइटेशन: Criminal Misc. Petition (Main) No. 2044 of 2022 and Criminal Misc. Petition (Main) No. 2045 of 2022

    कोरम: जस्टिस सत्येन वैद्य

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story